सूबे में चुनावी गहमागहमी चरम पर है। पहलवानों के कांग्रेस में शामिल होने पर भाजपा नेताओं ने बयान जारी करके पहलवानों के इस फैसले को कांग्रेस की शह पर हुआ धरना बता रहे हैं। दरअसल, इस घटना से कांग्रेस जिस भी स्थिति में है, उससे थोड़ी तो मज़बूत हुई ही है। विनेश, जो मात्र सौ ग्राम ज़्यादा वजन के कारण पेरिस ओलिंपिक में अयोग्य करार दी गई थीं और जिससे केवल हरियाणा ही नहीं, पूरा देश दुखी हुआ था, उस सहानुभूति का लाभ भी कांग्रेस को मिल सकता है।
संभव है कि अब हरियाणा में जहां भी चुनाव-प्रचार के लिए राहुल या प्रियंका गांधी जाएँगे, विनेश फोगाट को मंच पर ज़रूर बैठाएँगे। ताकि सहानुभूति को भुनाया जा सके। निश्चित ही इसका राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिलेगा।
हरियाणा चुनाव में जानकारों का कहना है कि फ़िलहाल भाजपा के पास इस तरह का कोई सहानुभूति कार्ड नहीं है। ऊपर से दस साल की एंटी इंकम्बेंसी ज़रूर है। हालांकि, ऐसी स्थितियों से जूझने, लड़ने में भाजपा माहिर हैं। वह हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी।
दूसरी तरफ यह भी गौरतलब है कि सूबे में भाजपा के फ़ायदे का एक ही सूत्र है और वह है जाट वोटों का बँटवारा। यह संभव हो गया तो भाजपा को हराना मुश्किल हो जाएगा। देखना यह है कि कांग्रेस हरियाणा में जाट वोटों को किस हद तक इकट्ठा रख पाती है या बिखरने से बचा सकती है!