छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में बारिश हुई है जबकि कुछ जिलों में सूखा जैसे हालात है| धान की रोपाई के लिए किसानों को बारिश का बेसब्री से इंतजार है| अगर मौसम की अनिश्चितता इसी प्रकार बनी रही तो धान बीज के खराब होने की संभावना है जिसे मौसम विभाग भी स्वीकार कर चुका है|
दरअसल राज्य में जून के महीने में 27 प्रतिशत कम बारिश हुई है| इसके चलते खेती-किसानी में देरी हो रही है| महासमुंद के किसानों का कहना है कि धान बुवाई का कार्य तेजी से चल रहा है, कहीं धान बुवाई का कार्य पूर्ण हो चुका है तो कहीं आधे से ज्यादा बुवाई हो चुकी है| क्षेत्र में नियमित वर्षा ना होने और तेज गर्मी पड़ने से किसान परेशान हैं क्योंकि उन्हें मानसून की बेरूखी का सामना करना पड़ रहा है|
खरीफ की फसलों की बोवनी का रकबा इस वर्ष पिछड़ता दिखाई दे रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बीते साल 24 जून तक 184.44 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बोवनी हो चुकी थी। इस साल 24 जून तक रकबा 140.52 लाख हेक्टेयर ही है। सिर्फ गन्नो की बोवनी का रकबा ही बढ़ा हुआ नजर आ रहा है।
खरीफ सीजन में प्रचलित धान के रकबे में करीब पांच लाख हेक्टेयर की कमी करने का लक्ष्य रखा है। कृषि विभाग के अफसरों ने बताया कि इस खरीफ सीजन में कुल 48 लाख 20 हजार हेक्टेयर में विभिन्न प्रकार फसलों की बुआई की तैयारी है। इसमें धान की प्रचलित किस्मों का रकबा 33 लाख 64 हजार 500 हेक्टेयर तय किया गया है।