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हरियाणा : देसी गाय खरीदने के लिए मिलेगा 25000 रुपये का अनुदान

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक ओर पहल करते हुए प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देसी गाय की खरीद पर 25 हजार रुपये तक की सब्सिडी देने व प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम किसानों को निशुल्क देने की घोषणा की।

ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है। सीएम ने कहा कि प्रदेश के 50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है, लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर खंड स्तर पर प्रदर्शनी खेत में प्राकृतिक खेती करवाई जाएगी।

मुख्यमंत्री ने रविवार को डा. मंगलसेन सभागार में प्राकृतिक खेती पर आत्मा योजना के तहत आयोजित राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में विचार व्यक्त किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने वाले पोर्टल पर रजिस्टर्ड दो से पांच एकड़ भूमि वाले किसानों को देसी गाय खरीद के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर ब्लाक में एक प्रदर्शन प्लांट अवश्य बनाया जाए ताकि उस खंड के किसान उसका आसानी से लाभ उठा सके। ब्लाक स्तर पर 50 से ज्यादा प्रगतिशील किसान प्रशिक्षित किए जाएं। इस प्रकार प्रदेशभर में ज्यादा से ज्यादा प्रगतिशील किसान तैयार किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान अब प्रकृतिशील किसान कहलाएंगे, क्योंकि प्राकृतिक खेती प्रकृति के नियमों के अनुसार की जानी है, जिससे हम अतीत में दूर हो गए थे।

उन्होंने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की सराहना की, जिन्होंने प्राकृतिक खेती का प्रारूप देश के प्रधानमंत्री के समक्ष रखा है और गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण संस्थान के लिए जमीन उपलब्ध करवाई है। उन्होंने घोषणा की कि प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए केंद्र से जो बजट मिलेगा, उससे ज्यादा हरियाणा सरकार देगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए केंद्र से जो बजट मिलेगा, उससे ज्यादा हरियाणा सरकार भी देगी| मुख्यमंत्री ने कहा उन्हें खुशी है कि किसान अब प्राकृतिक खेती को समझने लगे हैं| मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब 1960 के दशक में देश में खाद्यान्नों की कमी हो गई थी, इसके लिए हरित क्रांति का आह्वान किया गया, जिसके चलते अंधाधुंध रासायनिक खादों का उपयोग हुआ और देश में अनाज के उत्पादन की कमी नहीं रही| अब रासायनिक खादों के प्रयोग से खेत भी जहरीले हो गए हैं और खाद्यान्नों भी जहरीले हो गए हैं| इसलिए हमें संकल्प लेना चाहिए कि न तो जहर बोएंगे और न ही जहर खांएगे|

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