हिमाचल प्रदेश में बागवानी क्षेत्र आय के स्रोत उत्पन्न कर लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। वर्तमान में राज्य में 2.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी के अधीन है। गत चार साल में प्रदेश में 31.40 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन हुआ है। इस अवधि में बागवानी क्षेत्र की वार्षिक आय औसतन 4,575 करोड़ रही। नौ लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है। हिमाचल सेब के बाद अब फल-राज्य बनने की ओर अग्रसर है।
वर्तमान में राज्य में 2.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी के अधीन है। गत चार साल में प्रदेश में 31.40 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन हुआ है। इस अवधि में बागवानी क्षेत्र की वार्षिक आय औसतन 4,575 करोड़ रही। नौ लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है।
पहाड़ी राज्य हिमाचल को अपनी पहली बागवानी नीति के लिए पूरी तरह तैयार है, इसका मसौदा अगले महीने के अंत तक तैयार हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि यह नीति उत्पादकों को बड़े पैमाने पर सुविधा प्रदान करेगी और राज्य को “देश का फल का कटोरा” बनाने के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करेगी।
बागवानी सचिव, अमिताभ अवस्थी ने कहा, एक बार नीति तैयार होने के बाद, सुझाव/ आपत्ति प्राप्त करने के लिए मसौदा सार्वजनिक स्तर पर रखा जाएगा। बागवानी को तकनीक उन्मुख बनाने पर जोर दिया जाएगा। पूरे सिस्टम को बागवानों के लिए पारदर्शी और सुलभ बनाने का लक्ष्य है। बागवानी से संबंधित जानकारियों को विभाग की वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा।
प्रदेश में 1134 करोड़ रुपये की विश्व बैंक पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना को लागू किया जा रहा है। परियोजना के तहत प्रदेश में सेब, नाशपाती तथा अखरोट के पौधे किसान समूहों में वितरित किए जाएंगे जबकि आम, लीची, अमरूद तथा नीम्बू प्रजाति के फलों के 14406 पौधों को 28 सब-ट्रॉपिकल समूहों को बेचा गया है। परियोजना के अन्तर्गत बागवानी क्षेत्र की जानकारी प्रदान करने के लिए 58 अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त न्यूजीलैंड के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी 320 बागवानी अधिकारियों तथा 501 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया है।