tag manger - उत्तर प्रदेश : गुजरात की ‘धरनी’ बदल रही है बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत – KhalihanNews
Breaking News

उत्तर प्रदेश : गुजरात की ‘धरनी’ बदल रही है बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को बड़ी परियोजना मिली है। इसके तहत लाल मिट्टी के लिए मुफीद मूंगफली की किस्म धरनी के प्रमाणित बीज बुंदेलखंड के 150 किसानों को 40-40 किलो बीज प्रति एकड़ के हिसाब से बांटे गए हैं। यह किसान बेहद गरीब और तकनीकी रूप से पिछड़े हैं। कम पानी में लहलहाने वाली इस किस्म की फसल किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी। कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने बताया कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में मूंगफली की सर्वाधिक उपज बुंदेलखंड में ही हुई थी।

बुंदेलखंड में लाल मिट्टी होने की वजह से यह मूंगफली की फसल के लिए फायदेमंद होती है। इसी बीच केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को बुंदेलखंड में मूंगफली की खेती को बढ़ावा देने के लिए मूंगफली अनुसंधान निदेशक जूनागढ़ से एक बड़ी परियोजना मिल गई है। एक साल के इस प्रोजेक्ट के तहत विश्वविद्यालय ने बुंदेलखंड के पिछड़े, आर्थिक और तकनीकी रूप से कमजोर 150 किसानों का चयन किया है। इसमें मुस्तरा गांव के 23, कुम्हरिया गांव के 33, पिपरऊआ कलान गांव के 40 और दतिया के नोरेर गांव के 54 किसान शामिल हैं। इन किसानों को मूंगफली की धरनी किस्म का प्रमाणिक बीज दिया गया है। नेशनल सीड कॉर्पोरेशन मऊरानीपुर निवाड़ी से यह बीज मंगवाया है।

कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ लगातार किसानों के संपर्क में हैं। बुवाई के बाद क्या करना है, उन्हें बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस किस्म से काफी अच्छी पैदावार होती है। ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने में यह किस्म भी मददगार साबित हो रही है।

इस परियोजना में प्रमुख शोधकर्ता डॉ. आशुतोष शर्मा समेत डॉ. संजीव कुमार, डॉ. अर्पित सूर्यवंशी, डॉ. भरत लाल देशमुख शामिल हैं। इसके अलावा अधिष्ठाता कृषि डॉ. एसके चतुर्वेदी और निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. एसएस सिंह के निर्देशन में परियोजना चल रही है।

ये है ‘धरनी’ की खासियत

  • 100 से 105 दिन में पककर तैयार हो जाती।
  • खरीफ सीजन में लगाते तो 16 से 26 क्विंटल प्रति हेक्टयर पैदावार।
  • रबी सीजन में लगाने परे 37 से 43 क्विंटल प्रति हेक्टयर उत्पादन।
  • 50 प्रतिशत तेल निकलता है, जो सामान्य से 15-20 फीसदी अधिक।
  • 35 दिन तक भी पानी और धूप की जरूरत नहीं पड़ती।
  • जितना पानी मिलता है, ये किस्म पूरा उपयोग कर लेती है।
  • जड़ गलन और तना गलन जैसे आम रोग इस किस्म में नहीं होते।
  • पूरी फलियां एक साथ पककर तैयार हो जाती हैं।

कृषि विश्वविद्यालय इन्हीं चयनित किसानों को यंत्र भी दे रहा है। इसमें स्प्रेयर, स्टोरेज विंग यानी सामान रखने का टैंक, मूंगफली की खुदाई करने के लिए फॉर्कशॉवल, व्हीलबैरो नामक तीन पहिया गाड़ी शामिल है। इसके अलावा उन्नत तकनीकी के बारे में प्रशिक्षण भी दे रहे हैं|

मूंगफली खरीफ और जायद दोनों मौसम की फसल है, मूंगफली की फसल हवा और बारिश से मिट्टी कटने से बचाती है। खरीफ की आपेक्षा जायद में कीट और बीमारियों का प्रकोप कम होता है। मध्य उत्तर प्रदेश में यह हरदोई, सीतापुर, खीरी, उन्नाव, बरेली, बदायूं, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद और पशि्चमी उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद, और सहारनपुर के कई हिस्सों में भी उगाई जाती हैI

बुन्देलखंड क्षेत्र के हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर, जालौन, बांदा और चित्रकूट जिले के किसान अब तक तिल, मूंग और उड़द सहित अन्य फसलें बड़े ही उत्साह के साथ करते थे। लेकिन इस क्षेत्र में लगातार दैवीय आपदा का कहर बरपने से अब किसान इन फसलों को घाटे की खेती मानने लगे हैं। अधिक लागत की खरीफ की खेती से किसानों का अब मोह ही भंग हो गया है। इसीलिए ग्रामीण इलाकों में इस बार खरीफ की खेती में मूंगफली की फसल तैयार करने की दिशा में किसान आगे आए हैं।

About admin

Check Also

माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:' के भाव को आत्मसात कर 20 जुलाई को पौधरोपण का नया रिकॉर्ड बनाएगा उत्तर प्रदेश: मुख्यमंत्री

माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:’ के भाव को आत्मसात कर 20 जुलाई को पौधरोपण का नया रिकॉर्ड बनाएगा उत्तर प्रदेश: मुख्यमंत्री

20 जुलाई को महापर्व के रूप में मनाया जाएगा पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियानः सीएम योगी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *