मौसम-चक्र बदलने से इस साल गरमी बढी है | इसका असर खेती पर पडा है | गेहूँ की फसल तय वक्त से पहले तो पक गयी, लेकिन दाना पूरा नहीं पका | जो पका, वह हल्का और मज़बूत नहीं निकला | अनुमान से कम वज़न निकला | उत्पादन में कमी आई है| इसके साथ ही दाने क्षतिग्रस्त भी हुए हैं| इस समस्या के कारण किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी पैदावार बेचने में समस्या आ रही थी| हालांकि केंद्र सरकार के एक फैसले किसानों को राहत मिली है| केंद्र ने गेहूँ के नियमों में ढील दे दी है|
सरकार के इस फैसले के बाद मंडियों में 6 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्त हुए गेहूं की खरीद की जा रही है| पंजाब में मार्च के महीने में तापमान लगभग 25 से 30 डिग्री तक रहता है, लेकिन इस साल यह 35 से 36 डिग्री तक पहुंच गया था| तापमान में अत्यधिक वृद्धि के कारण गेहूं के दाने पूरी तरह तैयार नहीं हो पाए और पक गए| इस कारण पैदावार में करीब 10 से 15 फीसदी की आई है| नुकसान की भरपाई के लिए किसान मुआवजे की मांग कर रहे थे तो राज्य सरकार केंद्र से खरीद नियमों में ढील देने की मांग कर रही थी, जिसे केंद्र ने स्वीकार कर लिया|
पहले गेहूं की पैदावार 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ थी, वह अब घटकर 14 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है| हमें काफी नुकसान हुआ है. टूटा हुआ अनाज समस्या है| उत्पादन काफी हद तक प्रभावित हुई है|
मंडी में आने वाली अधिकांश उपज पूरी तरह परिपक्व नहीं हो पाई है और दाने सिकुड़ गए हैं| ज्यादातर फसल 15 फीसदी तक सिकुड़ चुकी है| केंद्रीय टीम नुकसान का आकलन करने आई थी| जिले में पंद्रह फीसदी उपज प्रभावित है. हम क्षतिग्रस्त अनाज के साथ आने वाले किसानों को भी खरीद से इनकार नहीं कर रहे हैं|