भारत से मक्का निर्यात होने के बावजूद स्थानीय बाजारों में दाम एमएसपी से कम है | इस वक्त मक्का की एमएसपी 1962 रुपये प्रति क्विंटल है | जबकि किसानों को खुले बाज़ार में इसका दाम 1400 से 1700 के बीच में ही मिल रहा है | ऐसे में जब तक किसानों को अच्छी दाम की उम्मीद नहीं दिखाई देगी तब तक वह मक्का उत्पादन नहीं बढ़ाएंगे | कई राज्यों में एमएसपी पर मक्का की खरीद नहीं होती, जिसका फायदा व्यापारियों को मिलता है |
विशेषज्ञों का कहना है कि मकई के निर्यात को फ़ीड, स्टार्च और इथेनॉल की घरेलू मांग की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है | ऐसे में अगले कुछ हफ्तों में कर्नाटक में मक्के की कीमतें बढ़ सकती हैं | मकई की कीमतों में मुख्य रूप से रबी की कटाई की गति पर गिरावट आई और उत्पादन केंद्र के 34.61 मिलियन टन के रिकॉर्ड अनुमान से अधिक होने की उम्मीद है |
चारे के रूप में मक्का की मांग बढ़ेगी क्योंकि इस साल गेहूं का उत्पादन कृषि मंत्रालय के अनुमान से कम रहने की संभावना है | दूसरी ओर, टूटे चावल की उपलब्धता कम है क्योंकि देश के पूर्वी भागों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की कमी के कारण खरीफ धान का उत्पादन प्रभावित हुआ था |
घरेलू मक्का की मांग इस वर्ष 2.3 प्रतिशत बढ़कर 28.8 मिलियन टन होने की उम्मीद है, जो फ़ीड मांग में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 17 मिलियन टन हो गई है | खाद्य और औद्योगिक मांग 2 प्रतिशत बढ़कर 11.7 मिलियन टन हो जाएगी | मांग में कमी के साथ-साथ
वैकल्पिक चारा अनाज के लिए मजबूत कीमतें मक्का की कीमतों में तेजी बनी रहेगी |
भारत में मक्का की खेती जिन राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है वे हैं – आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि। इनमे से राजस्थान में मक्का का सर्वाधिक क्षेत्रफल है व कर्नाटक में सर्वाधिक उत्पादन होता है।