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महाराष्ट्र : अनार के बागों में कीटों का हमला , फसल पर बुरा असर

जलवायु परिवर्तन के कारण अनार में तना बेधक पिन होल बोरर कीटों का प्रकोप बढ़ रहा है. यह पिछले दो वर्षों में ज्यादा बढ़ा है|
किसानों का कहना है कि तना बेधक के लिए कोई कारगर दवा नहीं है, इसके अलावा यदि प्रभावित पेड़ को नष्ट नहीं किया जाता है तो अच्छे पौधों को भी खतरा होता है| इसलिए किसानों को पूरे बाग को काटना पड़ता है|

कीटों का प्रकोप बढ़ता देख किसानों ने बागों को पूरी तरह से हटा दिया है| स्थिति की जानकारी लेने के लिए दिल्ली की टीम अनार के बागों का निरीक्षण करने के लिए सोलापुर पहुंची थी| कीटों और बीमारी लगने के कारण अनार के बाग नष्ट हो गए हैं, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट देखी जा रही है|

निरीक्षण करने के बाद टीम ने सोलापुर के सांगोला तालुका में महुद में किसान सम्मेलन में अनार के बाग को बनाए रखने के बारे में मार्गदर्शन भी दिया था| इसके बाद कृषि विभाग पिन होल बोरर्स और बीमारी पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है| वहीं जिले के किसानों का कहना है कि यदि पहले मार्गदर्शन दिया जाता, तो बाग बच जाते| अब जबकि 40 फीसदी क्षेत्र से बागों को साफ कर दिया गया है, तब कृषि विभाग उपाय कर रहा है|

अनार के बागों पर इन कीटों और बीमारी के कारण किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है| हालात ये हैं कि किसान को पूरा बाग काटना पड़ रहा है, क्योंकि ये कीट जल्द ही दूसरी फसलों में भी लग जाते हैं| ऐसे में किसानों के पास पूरे बाग को काटने के अलावा कोई विकल्प नही है|

किसान कह रहे हैं कि यदि सही समय पर मार्गदर्शन किया जाता तो पिन होल बेधक या जानलेवा बीमारी पर काबू पाया जा सकता था और बाग बच सकते थे| इस दौरान कोई मार्गदर्शन नहीं दिया गया और अब कृषि विभाग के अधिकारी बागों को बीमारियों से बचाने के लिए ड्रेजिंग, छिड़काव और रसायनों को लगाने का काम लेकर आए हैं| ऐसा माना जा रहा है कि इससे शेष क्षेत्र में उद्यानों का संरक्षण होगा|

सांगोला तालुका में केंद्रीय टीम करीब एक महीने पहले इलाके में बागों का अध्ययन करने के लिए पहुंची थी| वे जानने की कोशिश कर रहे थे कि अनार की खेती के लिए जलवायु परिवर्तन का क्या असर पड़ा है| इसके बाद टीम के अधिकारियों ने किसानों को निर्देश दिया था कि जलवायु परिवर्तन के दौरान उचित देखभाल न करने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है| इसके बाद किसानों के लिए सम्मेलन का आयोजन किया गया था| इस सम्मेलन में अनार अनुसंधान केंद्र के खराब प्रबंधन और कृषि विभाग की भूमिका पर सवाल उठाए गए|

अनार की छाल का पेस्ट किसान कीटों के प्रकोप को रोकने के लिए लगाते हैं, जिससे कीड़ों का प्रकोप न बढ़े, क्योंकि अभी भी इस पिन होल बोरर्स बीमारी का कोई इलाज नहीं है| ऐसे में निवारक उपाय महत्वपूर्ण हैं| किसानों को मार्गदर्शन दिया जा रहा है कि अनार के पेड़ों के आस-पास अनुशंसित कीटनाशक, कवकनाशी ड्रेजिंग, छिड़काव और कीटनाशक पेस्ट कैसे लगाएं|कृषि विभाग अब किसानों के बागों के पास जाकर इस कीट से बचाव के बारे जानकारी दे रहा है|

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