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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: एक दशक में धीमी पड़ गई प्रदेश की आर्थिक वृद्धि।  

देश की प्रगति के लिए सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य की तरक्की होना बेहद जरूरी है

आज यानी 10 फरवरी 2022 से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान का दौर शुरू हो रहा है। आज मतदान का पहला चरण है। देश की अर्थव्यवस्था की दृष्टि से उत्तर प्रदेश बहुत महत्व रखता है, क्योंकि वह न केवल आबादी के मामले में सबसे बड़ा राज्य है, बल्कि संसाधनो ंके मामले में भी उत्तर प्रदेश देश के महत्वपूर्ण राज्यों में शामिल हैं। आइए, राज्य की अर्थव्यवस्था में आ रहे महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में जानते हैं

पिछले एक दशक में उत्तर प्रदेश के राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में पचास फीसदी की दर से इजाफा हुआ,  हालंकि देश के 15 राज्य इस मामले में उससे बेहतर रहे, जिनमें यह बढ़ोतरी 52 से लेकर 118 फीसदी तक रही। सकल राज्य घरेलू उत्पाद से आशय उत्तर प्रदेश में एक साल के दौरान उत्पादित समस्त वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य से है।

2011-12 से लेकर 2018-19 के बीच उत्तर प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर साढ़े छह फीसदी अंकों के हिसाब से बढ़ी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सूची में इस मामले में राज्य 11वें नंबर पर था।

भारतीय रिजर्व बैंक के नवबंर 2021 में जारी अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, 2011-12 की स्थिर कीमतों पर, उत्तर प्रदेश के जीएसडीपी में 10 सालों (2011-12 और 2020-21 के बीच) में 50 फीसदी की वृद्धि हुई।

वित्त वर्ष 2011-12 में राज्य का जीएसडीपी 7,24,050 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 10,92,623 करोड़ रुपये हो गया।

इसी अवधि के दौरान देश के 15 राज्यों का जीएसडीपी 52 फीसदी से लेकर 118 फीसदी तब बढ़ा। इस तरह, अगर जीएसडीपी के आधार पर देखा जाए तो पिछले एक दशक यानी 2011 से 2021 के बीच उत्तर प्रदेश 16वें नंबर पर रहा।

यही नहीं, जिस राज्य की अर्थव्यवस्था, देश की सम्पूर्ण आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, उसकी जीएसडीपी 2019-20 के दौरान नीचे फिसलकर अपने न्यूनतम स्तर तक पहुंच गई थी।

यह 2018-19 की 6.26 फीसदी वृद्धि की तुलना में 2019-20 में सिकुड़कर महज 3.81 फीसदी रह गई थी, जो 2012-13 के बाद जीएसडीपी में सबसे कम वृद्धि थी।

ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य पर असर डालेगी राज्य की धीमी गति

दरअसल अगर सम्पूर्णता में देखें तो 2011-12 से 2020-21 के दौरान उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान से फिसलकर चौथे स्थान पर पहुंच गया है।

यह 2011-12 से 2016-17 के बीच छह वित्त वर्षों के दौरान तीसरे स्थान पर रहा। लेकिन 2017-18  और फिर उसके बाद फिसलकर चौथे स्थान पर आ गया।

जिस दौरान उत्तर प्रदेश जीएसडीपी के लिहाज से पूरे देश में तीसरे स्थान पर था, तब इससे ऊपर तमिलनाडु और कनार्टक थे।

गौरतलब है कि राज्यों के जीएसडीपी के लिहाज से महाराष्ट्र 2004-05 से लगातार पूरे देश में नंबर एक पर बना हुआ है।

इस तरह से, आंकड़ें उपलब्ध होने के बाद 20 से ज्यादा सालों से महाराष्ट्र के जीएसडीपी के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर, इस राज्य के वित्त वर्ष 2020-21 में भी नंबर एक बने रहने की संभावना है।

By – डाउन टू अर्थ

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