ग्वालियर कृषि महाविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित विन्टर स्कूल का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम के तहत तकनीकी सत्र में संचालक विस्तार सेवाएं, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय डॉ. वाई.पी. सिंह ने बताया कि खेती करने के लिए मिट्टी एक माध्यम है जिसके बिना खेती करना सम्भव नहीं है। खेती की सेहत को बनाए रखने के लिए कार्बनिक पदार्थ का होना बहुत ही आवश्यक है जिसके लिए रासायनिक खादों के साथ-साथ जैविक खादों का भी प्रयोग किया जाना नितांत आवश्यक है। रासायनिक खादों से दिनों दिन मिट्टी की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा हैं। इसके सुधार के लिए हमारे किसान भाईयों को जैविक खेती की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है एवं फसल पद्धति का भी बदलाव करना होगा।
सत्र का संचालक, एमिटी बिजनेस स्कूल डॉ. अनिल वशिष्ठ द्वारा युवाओं के लिए संचार कौशल के बारे में विस्तृत जानकारी दी एवं युवा अपने संचार कौशल को कैसे विकसित करे, तथा शारीरिक भाषा, सकारात्मक सोच, सही शब्दो का प्रयोग, व्यक्ति को समझने आदि के बारे में विस्तार से बताया।
एक सत्र में संयुक्त कुलसचिव (शिक्षण), शेर-ए कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्यैगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू डॉ. भरत भूषण ने बताया कि किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से किसानों को कैसे सशक्त किया जाए एवं इन संगठनों की उपयोगिता एवं इनके माध्यम से किसान अपनी आय में कैसे वृद्धि कर सकता है।
अंतिम सत्र में डॉ. एम.के. त्रिपाठी द्वारा बताया गया कि ग्रामीण युवाओ में टीश्यू कल्चर के माध्यम से विभिन्न प्रकार के पौधे तैयार कर उद्यमिता विकसित की जा सकती है। जिससे स्वयं का रोजगार भी बढ़ाया जा सकता हैं। महाविद्यालय पौध प्राद्यागिकी विभाग द्वारा ई.एल.पी. कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
कार्यक्रम संयोजक डॉ ओपी दैपुरिया एवं डॉ शोभना गुप्ता ने बताया कि ग्रामीण युवाओं की रुचि कृषि में उत्पन्न करने के लिए किसानों को खेती के अतिरिक्त आय के साधन उत्पन्न करने एवं कृषिगत मजदूराें की आजीविका सुरक्षित करने के लिए 21 दिवसीय प्रषिक्षण का आयोजन किया गया||
राज्य कृषि विश्वविद्यालय, केन्द्रीय कृषि विश्व विद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा खेती में लागत को कम कर कृषि फसलों का उत्पादन बढ़ाने एवं कृषि में उद्यमिता विकास के लिए भागीदारी की।