वैश्विक बाजारों में कपास के भाव ने दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है| इसका असर भारत पर भी हुआ है| यहां कॉटन के भाव भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं| कारोबारियों का अनुमान है कि कपास में तेजी आगे भी यह जारी रहेगी| कपास के रेट में भारी बढ़ोतरी कपास से बनने वाला सूती धागा भी 43 फीसदी महंगा हो चुका है| इसका असर सूती कपड़ों पर भी पड़ेगा और आगे आने वाले दिनों में ये महंगे होंगे|
कपास के दाम बढ़ने की प्रमुख वजह इस बार कम उत्पादन बताया जा रहा है| कॉटन एडवाइजरी कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार पूरे विश्व में 26.4 मिलियन टन कपास का उत्पादन होगा, जबकि खपत 26.2 मिलियन टन होगी| वहीं संस्था कोटलुक के अनुसार, इस बार 25.5 मिलियन टन उत्पादन पूरे विश्व में कपास का होगा. वहीं कुल खपत 25.7 मिलियन टन रहेगी|
राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में कपास के भाव में जबरदस्त उछाल आया है। कपास में लगातार तेजी से .सूती धागा के भाव भी लगातार बढ़ रहे हैं। सूती धागा के फाइन काउंट में तेजी का असर कपड़ा निर्यात पर पड़ रहा है। निर्यात उद्योग में सूती धागा की बम्पर मांग है। मांग अधिक व आपूर्ति कम होने के कारण धागे के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। घरेलू स्तर पर स्पिनिंग मिलों व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती मांग से भावों में तेजी है।
केंद्र सरकार ने कपास का समर्थन मूल्य 5726 से 6025 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। सरकार की ओर से भारतीय कपास निगम एमएसपी पर खरीद करता है, लेकिन खुले बाजार में व्यापारी इससे कहीं अधिक दाम देकर कपास खरीद रहे हैं। वर्तमान में 70 से 77 हजार रुपए प्रति कैण्डी (एक कैंडी में 355.620 किलोग्राम) के भाव बोले जा रहे है।
गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब व हरियाणा में 130.07 लाख हैक्टेयर में कपास की खेती हुई। उत्पादन 353.84 लाख गांठ (अनंतिम) रहा। मौजूदा विपणन वर्ष में यह 362.18 लाख गांठ रहने का अनुमान है। स्थानीय कीमतों में तेजी भारत से कपास निर्यात को प्रभावित कर सकती है। भारतीय कपास के प्रमुख आयातकों में बांग्लादेश, चीन व वियतनाम हैं, जो यहां दाम बढऩे पर अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर रुख कर सकते हैं।