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भारत में भुखमरी और कुपोषण के लिए हम भी जिम्मेदार हैंं!

भारत में कृषि सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान करता है लेकिन कृषि भारतीयों के लिए एक रोजगार से बढ़ कर है। यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसने भारत की अर्थव्यवस्था का निर्माण किया है। अगर की गयी रिसर्च के आंकड़ों पर नज़र डालें तो आईएनसी 24 के अनुसार, 2025 तक भारतीय कृषि क्षेत्र का 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक जाने की भविष्यवाणी की गई है। भारतीय खाद्य और किराना बाजार दुनिया का छठा सबसे बड़ा बाजार है। वित्तीय वर्ष 23 (केवल खरीफ) के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, भारतीय किसान कुल 149.92 मिलियन टन तक का खाद्यान्न उत्पादन कर सकते है।

दुनिया भर में हर मिनट करीब 11 लोग भूख के कारण दम तोड़ रहे हैं। करीब 15.5 करोड़ लोग गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में भी भारत को एक हंगर हॉटस्पॉट के रूप में प्रदर्शित किया गया है। यदि 2020 के आंकड़ों को देखें तो भारत में करीब 19 करोड़ लोगो कुपोषण का शिकार हैं। वहीं पांच वर्ष से कम उम्र के करीब एक तिहाई बच्चों का विकास ठीक से नहीं हो रहा है।

दुःख की बात तो यह है जहां एक तरफ सरकार इस समस्या पर बेचैन है वहीं लोग भी अपनी आदतों में बदलाव नहीं कर रहे हैं। एक अनुमान है कि देश में हर व्यक्ति प्रतिवर्ष करीब 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है, जबकि विडम्बना देखिए की 18.9 करोड़ लोगों (14 फीसदी आबादी) को आज भी पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट ‘फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021’ के अनुसार भारत में हर वर्ष करीब 6.88 करोड़ टन भोजन बर्बाद कर दिया जाता है।

इस बर्बादी को रोकना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस इसके लिए हमें अपनी आदत बदलनी होगी। अपनी प्लेट में उतना ही भोजन लें जितना हम खा सकते हैं। उतना ही खरीदें जितना हमारे लिए पर्याप्त है। बेवजह खाद्य पदार्थों को जमा करना बंद कर दें। भोजन के महत्त्व को समझें। यह इंसान के लिए सबसे जरुरी चीजों में से एक है। अगली बार जब भी अपनी थाली में खाना बाकी छोड़ें तो इस बात का भी ध्यान रखें कि कहीं इसी खाने की वजह से कोई भूखा सोने को मजबूर है।

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 2019 में 69 करोड़ टन खाना डस्टबिन में गया और उसी साल 69 करोड़ लोग भरपेट भोजन से दूर रहे और रातों को भूखे ही सो गए। भारत में एक व्यक्ति औसतन 137 ग्राम प्रतिदिन और सालाना 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है। भारत में कुपोषित बच्चों और मोटे वजन वाले बच्चों की संख्या धीरे धीरे बराबर होती जा रही है। हालांकि अभी भी कुपोषित और खाने से महरूम बच्चों की संख्या ज्यादा ही है।
भारत में कृषि सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान करता है लेकिन कृषि भारतीयों के लिए एक रोजगार से बढ़ कर है। यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसने भारत की अर्थव्यवस्था का निर्माण किया है। अगर की गयी रिसर्च के आंकड़ों पर नज़र डालें तो आईएनसी 24 के अनुसार, 2025 तक भारतीय कृषि क्षेत्र का 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक जाने की भविष्यवाणी की गई है। भारतीय खाद्य और किराना बाजार दुनिया का छठा सबसे बड़ा बाजार है। वित्तीय वर्ष 23 (केवल खरीफ) के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, भारतीय किसान कुल 149.92 मिलियन टन तक का खाद्यान्न उत्पादन कर सकते है।

दुनिया भर में हर मिनट करीब 11 लोग भूख के कारण दम तोड़ रहे हैं। करीब 15.5 करोड़ लोग गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में भी भारत को एक हंगर हॉटस्पॉट के रूप में प्रदर्शित किया गया है। यदि 2020 के आंकड़ों को देखें तो भारत में करीब 19 करोड़ लोगो कुपोषण का शिकार हैं। वहीं पांच वर्ष से कम उम्र के करीब एक तिहाई बच्चों का विकास ठीक से नहीं हो रहा है।

दुःख की बात तो यह है जहां एक तरफ सरकार इस समस्या पर बेचैन है वहीं लोग भी अपनी आदतों में बदलाव नहीं कर रहे हैं। एक अनुमान है कि देश में हर व्यक्ति प्रतिवर्ष करीब 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है, जबकि विडम्बना देखिए की 18.9 करोड़ लोगों (14 फीसदी आबादी) को आज भी पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट ‘फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021’ के अनुसार भारत में हर वर्ष करीब 6.88 करोड़ टन भोजन बर्बाद कर दिया जाता है।

इस बर्बादी को रोकना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस इसके लिए हमें अपनी आदत बदलनी होगी। अपनी प्लेट में उतना ही भोजन लें जितना हम खा सकते हैं। उतना ही खरीदें जितना हमारे लिए पर्याप्त है। बेवजह खाद्य पदार्थों को जमा करना बंद कर दें। भोजन के महत्त्व को समझें। यह इंसान के लिए सबसे जरुरी चीजों में से एक है। अगली बार जब भी अपनी थाली में खाना बाकी छोड़ें तो इस बात का भी ध्यान रखें कि कहीं इसी खाने की वजह से कोई भूखा सोने को मजबूर है।

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 2019 में 69 करोड़ टन खाना डस्टबिन में गया और उसी साल 69 करोड़ लोग भरपेट भोजन से दूर रहे और रातों को भूखे ही सो गए। भारत में एक व्यक्ति औसतन 137 ग्राम प्रतिदिन और सालाना 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है। भारत में कुपोषित बच्चों और मोटे वजन वाले बच्चों की संख्या धीरे धीरे बराबर होती जा रही है। हालांकि अभी भी कुपोषित और खाने से महरूम बच्चों की संख्या ज्यादा ही है।

यदि हमने अपनी थाली में खाना खाने के बाद खाना न बचाने की आदत अपना ली तो हम किसान की मेहनत का सम्मान करना सीख जायेंगे। गौरतलब है कि खेत में एक किलो धान पैदा करने के लिए किसान को तीन हजार लीटर पानी खर्च करना पड़ता है।

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