सावन महीने के दिन भले ही सूखे चले गए हों, पर दीपावली के नजदीक आते-आते सावन-भादों जैसी झड़ी लग गई। रिमझिम और झमाझम वर्षा का सिलसिला शुरू हो गया है। चार दिन से हो रही बरसात अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। शनिवार को पूरे दिन व पूरी रात रिमझिम बरसात होती रही। रविवार और सोमवार को भी पानी लगातार बरस रहा है| बादलों ने डेरा डाले रखा और पूरे दिन कभी तेज तो कभी धीमी बारिश होती रही।
बरसात के दौरान तेज हवा के झोंकों से खेतों में खड़ी धान की फसल बिछ गई है। वहीं कटी पड़ी धान की फसल पानी में डूब गई है। सूबे की सभी मंडियों में पड़ी सैकड़ों क्विंटल धान की फसल भी भीग कर बर्बाद हो रही है। किसान बताते हैं कि खेतों में जलभराव होने से खेतों में खड़ी अगेती आलू की फसल भी खराब हो गई है। बरसात से आलू व सरसों की बोआई पिछड़ जाएगी।
सब्जियों की फसलें भी पानी में डूब गई हैं। इनमें बैगन, तोरई, मिर्च, लौकी, कद्दू की फसल खराब हो जाएगी। धूप निकलने के बाद भी 20 दिन तक खेतों में बोआई नहीं होने से आलू व सरसों की फसल पिछड़ जाएगी। बरसात से किसानों का काफी नुकसान हुआ है। नुकसान का सही आंकलन सर्वे के बाद ही पता चल सकेगा।
हरियाणा में भी मौसम किसान के खिलाफ है | सूबे के कई जिलों में एक अक्टूबर से सरसों की बिजाई शुरू हो चुकी है। जिन किसानों को बाजरे व पीआर धान की कटाई के बाद सरसों की बिजाई करनी है, उसमें देरी हो रही है। बूंदाबांदी की वजह से धान की कटाई नहीं हो पा रही और जो खेत खाली है, उसे तैयार नहीं कर पा रहे हैं। पिछले साल जींद जिले में 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में सरसों की फसल थी। भाव अच्छा रहने से इस बार भी सरसों का रकबा बढ़ने की उम्मीद है।
हरियाणा में किसान मौसम साफ होने और धूप निकलने का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ही धान कटाई का काम सुचारू रूप से हो पाएगा। वहीं बासमती 1121 व अन्य किस्म की धान की फसल भी पकने वाली है। बादल छाए रहने की वजह से बासमती धान में किसान स्प्रे भी नहीं कर पा रहे हैं।