हरियाणा बासमती चावल का प्रमुख उत्पादक सूबा है। बड़े पैमाने पर बासमती चावल का निर्यात हरियाणा और पंजाब के कारोबारियों द्वारा किया जाता है। सरकार ने बारीक धान के निर्यात पर अब तक की सबसे ज्यादा ड्यूटी लगा दी है। आढ़तियों ने अपनी नाराज़गी जताई है। बासमती व उसकी श्रेणी में आने वाले 1509, 1121, 1778, पूसा-1 का धान भी नहीं खरीदा जाएगा। हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन ने भी बारीक धान न खरीदने का एलान किया है।
केंद्र सरकार द्वारा 1200 डालर प्रति मीट्रिक टन से कम कीमत वाले चावल निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध बरकरार रखने के विरोध स्वरूप हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के साथ-साथ पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित देशभर के चावल निर्यातकों ने बासमती व उससे संबंधित किस्मों के धान की खरीद से हाथ खींच लिए हैं। इन किस्मों के धान की खरीद को ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने निलंबित कर दिया है। इसके साथ-साथ हरियाणा स्टेट अनाज मडी आढ़ती एसोसिएशन ने भी बारीक धान को न खरीदने का एलान कर दिया है।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नाथीराम गुप्ता की मौजूदगी में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश राइस एक्सपोर्ट एसोसिएएशन के पदाधिकारियों की बैठक की गई थी। आढ़तियों की दिक्कत का कारण सूबे की विभिन्न मंडियों में साठ फीसदी बारीक धान खरीद कर लेना है। अब निर्यातक फिलहाल इस धान को लेकर असमंजस में हैंं।
मंडियों में अब बासमती व उसकी अन्य किस्मों के धान को नहीं खरीदा जाएगा। इसमें हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन, हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन भी उनका साथ दे रही है। इधर, रविवार को हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के चेयरमैन रजनीश ने भी आढ़तियों को पत्र जारी करके बारीक धान नहीं खरीदने को कहा है।
हरियाणा में 1509 किस्म का धान बहुतायत में आता है, हालांकि इसकी करीब 70 फीसदी फसल तो मंडियों में आ चुकी है, लेकिन अब खरीद बंद होने से 30 प्रतिशत फसल पर संकट आ गया है। आज करनाल मंडी में 1509 धान की करीब 20 हजार बोरी आवक रही, लेकिन खरीदी नहीं गई। इसके बाद कुछ दिनों में 1121 आने की बारी है।बारीक धान की खरीद न होने से अनाज मंडियों में सन्नाटा है।