समर्थन मूल्य को लेकर हरियाणा में आन्दोलन कर रहे किसान संगठनों के साथ अब पड़ोसी सूबों के किसानों ने हुंकार भरते हुए अपना समर्थन देने का ऐलान किया है।
किसान आंदोलन की जड़ में 30 मई 2023 का वो आदेश है जिसमें हरियाणा सरकार ने सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना में शामिल कर लिया। हरियाणा कृषि विभाग ने सूरजमुखी बेचने वाले किसानों को 1000 रुपये प्रति क्विंरटल की दर से मदद करने का ऐलान किया।
हरियाणा में सूरजमुखी का दाम 4200 रुपये प्रति क्विंटल तक ही चल रहा है. जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 6400 रुपये है। ऐसे में भावांतर योजना के तहत 1000 रुपये प्रति क्विंटल की सहायता मिलने के बावजूद किसानों को 1200-1400 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा होगा। इसलिए किसान सूरजमुखी की खरीद एमएसपी पर ही करने की मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि भरपाई की रकम को लेकर हरियाणा सरकार ने बाजरा खरीद के समय सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की जगह 500 रुपये प्रति क्विंटल की सहायता की बात कही थी। उस समय बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2350 रुपये क्विंटल था और बाज़ार भाव केवल 1200-1300 रुपये था। इस तरह भावांतर की वजह से 650 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो गया था। सरकार जो 500 रुपये प्रति क्विंटल की मदद दे रही थी वह रकम भी किसानों को एक साल बाद मिली।
किसान संगठनों के नेताओं का दो टूक कहना है कि इस भरपाई योजना की आड़ में सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को ख़त्म करने की नीयत से काम कर रही है।
किसान एक तरफ एमएसपी से वंचित रहा और दूसरी तरफ भावांतर से किसानों के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाई. इसलिए किसानों को इस योजना पर भरोसा नहीं है। भावांतर योजना को जबरदस्ती लागू होने से किसानों को एमएसपी खत्म होने का डर सताने लगा है। आने वाले समय में गेहूं और धान पर भी इसी प्रकार की व्यवस्था लागू कर सरकार उसकी एमएसपी को समाप्त करना चाहती है. इसलिए किसानों में इसके खिलाफ रोष है।
सूरजमुखी के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद और बीते मंगलवार को चंडीगढ़-दिल्ली हाईवे जाम करने के मामले में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) चढ़ूनी गुट के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत नौ किसान नेताओं को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया है।