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जलवायु परिवर्तन के साथ ही बदल रहा है कोविड-19 का स्वरूप , ख़तरा कहीं गया नहीं है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O) ने अपनी ताजा एक रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 का शिकार हुए दस में से एक अभी भी लॉन्ग कोविड की समस्या से जूझ रहे हैं। जो इस बात की ओर इशारा है की लम्बे समय से इस बीमारी से जूझ रहे लाखों लोगों को अभी भी लम्बे समय तक देखभाल की जरूरत है।

डब्ल्यूएचओ चीफ का कहना है कि कोविड के नए वैरिएंट एक्सबीबी.1.16 का उभरना दर्शाता है कि यह वायरस अभी भी बदल रहा है, और इस बीमारी का खतरा अभी भी पूरी तरह नहीं टला है और यह भविष्य में मृत्यु की नई लहर पैदा करने में सक्षम है।

उन्होंने आशा जताई कि इस वर्ष के दौरान यह घोषणा की जा सकती है कि कोविड-19 अब सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा नहीं है। लेकिन यह समझना होगा कि यह वायरस अब हमारे साथ रहने वाला है। ऐसे में देशों को अन्य संक्रामक रोगों की तरह ही इसे भी प्रबंधित करना सीखना होगा।

गौरतलब है कि कोविड-19 वैश्विक स्तर पर अब तक 76.4 करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है। वहीं महामारी से अब तक 69.2 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में भी अब तक कोरोना के 4.5 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 4.43 करोड़ मरीज ठीक हो चुके है। वहीं इस प्रकोप से अब तक 531,468 लोगों की मौत हो चुकी है।

महामारी के तीन वर्ष बीत चुके हैं। हालांकि इसके बाद भी महामारी का खतरा अब तक टला नहीं है। न केवल भारत बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अभी भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। जो दर्शाता है कि अभी भी इस तरह की आपदाओं के लिए मानव जाति तैयार नहीं है। ऐसे में प्रकृति के साथ होता खिलवाड़ कितना सही है यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

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