मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा मूंग की दाल की फसल पर MSP देने के ऐलान के बाद इस साल मूंग की दाल की कृषि के अधीन क्षेत्रफल लगभग दोगुना हो गया है|
इस साल मूंग की दाल की कृषि के अधीन क्षेत्रफल लगभग दोगुना हो गया है| मौजूदा वर्ष में लगभग 97,250 एकड़ (38,900 हेक्टेयर) क्षेत्रफल में मूंग की दाल की कृषि हुई है, जबकि पिछले वर्ष 50,000 एकड़ क्षेत्रफल इस फसल के अधीन था| मूंग की दाल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,275 प्रति क्विंटल निर्धारित है और यह पहल गेहूं-धान की फसलों के दरमियान एक अन्य फसल है, जो किसान की आमदनी बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी|
राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार मानसा जिला 25,000 एकड़ (10,000 हेक्टेयर) में मूंग की दाल की बुवाई कर राज्य भर में अग्रणी रहा है, जो राज्य में इस फसल के अधीन बीजे गए कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत है| इसके बाद मोगा में 12,750 एकड़ (5100 हेक्टेयर) और लुधियाना में 10,750 एकड़ (4300 हेक्टेयर) क्षेत्रफल इस फसल की कृषि अधीन है| बठिंडा और श्री मुक्तसर साहिब जिलों में मूंग की दाल के अधीन क्षेत्रफल क्रमवार 9500 एकड़ (3800 हेक्टेयर) और 8750 एकड़ (3500 हेक्टेयर) है|
सरकार ने मूंग की दाल की फसल का एक-एक दाना खरीदने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया है, लेकिन यह शर्त होगी कि किसानों को मूंग की दाल काटने के बाद उसी खेत में धान की 126 किस्म या बासमती की बिजाई करनी पड़ेगी, क्योंकि यह दोनों फसलें पकने के लिए बहुत कम समय लेती हैं और धान की अन्य किस्मों के मुकाबले इनको बहुत कम पानी की जरूरत होती है|
कृषि विभाग के निदेशक गुरविन्दर सिंह के मुताबिक दाल की फसल की जड़ों में नाइट्रोजन फिक्सिंग नोड्यूल होते हैं, जो जमीन में नाइट्रोजन फिक्स करके जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाते हैं| यदि मूंग की दाल की फसल की उपज कम भी की जाए तो भी नाइट्रोजन फिक्सिंग का लाभ अगली फसल को मिलता है| अगली फसल के लिए यूरिया की उपभोग सिफारिश की खाद की अपेक्षा 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़ तक कम हो जाती है|
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों को वैकल्पिक फसलों को अपनाकर बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन पानी को बचाने की अपील की है|
किसानों को धान की सीधी बिजाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार किसानों को इस तकनीक से धान की फसल लाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1500 रुपए वित्तीय सहायता देने का ऐलान भी कर चुकी है|