भारत ही नहीं खाड़ी देशों के भी भारतीय बकरियों की बड़ी मांग है| ब्रज क्षेत्र यानी आगरा, अलीगढ, हाथरस, फिरोज़ाबाद के अलावा इटावा,भरतपुर (राजस्थान) की बकरियों व बकरो की मांग ज्यादा है|
मथुरा के फरह स्थित केंद्रीय बकरी शोध संस्थान (सीआईआरजी) के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया था कि सहजन का सेवन सिर्फ मनुष्यों के लिए बल्कि बकरियों के लिए भी फायदेमंद है। संस्थान ने ही किसानों को प्रेरित किया कि वे इसका चारा बकरियों को दें। इसके अच्छे नतीजों सामने आए हैं।
बकरियों को चारे में औषधीय पेड़ सहजन की पत्तियां देना पशु पालकों के लिए बेहद फायदे का सौदा साबित हो रहा है। सहजन में प्रोटीन की अधिकता के कारण बकरियों के वजन में डेढ़ गुना तक वृद्धि तेजी से हुई है। इससे पशु पालकों को बकरियों के अच्छे दाम मिल रहे हैं।
पांच साल पहले यह प्रयोग करके देखा गया कि बकरियों को चारे में सहजन की पत्तियां देने पर क्या नतीजा निकलता है? संस्थान में बकरियों की कई प्रजातियां हैं। ब्रज में आमतौर पर जमुनापारी और बरबरी प्रजाति पाली जाती है। इन पर ही प्रयोग किया। इनमें बकरियों का वजन बढ़ाने के उद्देश्य से पालने वाले पशुपालक बरबरी को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि यह आकार में जमुनापारी से बड़ी होती है।
किसानों के समूहों को प्रेरित किया गया कि वे चारे में सहजन (वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा) दें। सहजन की 100 ग्राम पत्तियों में 9.40 ग्राम प्रोटीन, 1.40 ग्राम वसा, 8.28 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है। यह जल्दी पचता भी है। संस्थान में बकरियों को इसका चारा देने पर नतीजे अच्छे आए, तब किसानों को प्रेरित किया गया। अब किसान आकर बताते हैं कि सहजन से उनकी बकरियों की वृद्धि डेढ़ गुना तक तेजी से हुई।