देश के कृषि संस्थान 13 फसलों से जुड़े जेनेटिक मोडिफाइड (जीएम) यानी आनुवंशिक रूप से संशोधित बीज तैयार करने के काम में जुटे हैं। इसमें चावल, गेहूं और गन्ना जैसी फसलें शामिल हैं।
मंत्रालय का कहना है कि इन फसलों की उपज और गुणवत्ता में सुधार के लिए जीएम बीज तैयार किए जा रहे हैं।पर्यावरण मंत्रालय ने इसी वर्ष अक्टूबर में देश में विकसित सरसों के जीएम बीज के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। जीएम सरसों की पहली वाणिज्यिक फसल दो वर्ष में आने उम्मीद है। इस समय देश में केवल जीएम कपास की खेती की अनुमति है।
मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) और अन्य संस्थानों की ओर से आलू, अरहर दाल, चना और केला की फसल के लिए जीएम बीज विकसित करने के लिए भी शोध किया जा रहा है। मंत्रालय का कहना है कि भारत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए जीएम फसल जैसी कृषि तकनीक अपनाने का इच्छुक है।
अभी केवल जीएम सरसों के प्रदर्शन का परीक्षण आइसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने शुक्रवार को जीएम सरसों के संस्करण डीएमएच-11 को लेकर स्पष्ट किया कि अभी आइसीएआर के दिशानिर्देशों के अनुसार केवल इसके प्रदर्शन का परीक्षण किया जा रहा है।
धारा मस्टर्ड हाईब्रिड (डीएमएच-11) बीज की एक हाईब्रिड किस्म है जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फार जेनेटिक मैनिपुलेशन आफ क्राप प्लांट्स ने तैयार किया है। पाठक ने कहा कि खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर होना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि किसानों और उपभोक्ताओं के हित में जीएम सरसों को मंजबरी देने के निर्णय को एक तार्किक निष्कर्ष पर ले जाया जाना चाहिए।