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फलदार बगीचों से बदलेगी बुंदेलखंड के किसानों की जिंदगी

मौसम की मनमानी और प्राकृतिक रूप से शुष्क इलाका होने के बावजूद बुंदेलखंड रीजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का विशेष फोकस है। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद अब कृषि क्षेत्र में भी बुंदेलखंड नई कहानी लिखने ज रहा है। आने वाले समय में बुंदेलखंंडका इलाका प्रदेश में उच्च स्तरीय औद्यानिक फसलों का केंद्र बनने की राह पर है। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न प्रजातियों के फलों पर हुए शोधकर्ताओं के सामने चौंकाने वाले नतीजे पेश किये हैं।

बुन्देलखण्ड को दलहन का कटोरा कहा जाता है। आने वाले दिनों में विशेष प्रजाति के फलों का भी बड़ा क्षेत्र बन सकता है। इसमें अंजीर, चिरौंजी, खजूर और ड्रैगेन फ्रूट जैसे उच्च स्तरीय गुणवत्तापूर्ण फल शामिल हैं। जिनकी मदद से बुंदेलखंड के किसान परंपरागत खेती से चार गुना ज्यादा आय कर सकते हैं।

बांदा कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति नरेन्द्र प्रताप सिंह के अनुसार बुंदेलखंड इलाके में मौसम की अनिश्चितता के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में कृषि का विविधिकरण करना बहुत जरूरी है। कृषि विश्वविद्यालय की ओर से बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए ऐसे फलों पर विशेष काम किया गया है, जो यहां के मौसम और परिस्थितियों के अनुकूल हों।

श्री सिंह ने बताया कि हमारी टीम ने नीबू, अंजीर, डेट पॉम और ड्रैगन फ्रूट पर पिछले चार साल के शोध के बाद मॉडल तैयार कर लिया है, जिसे अब पूरे बुंदेलखंड में विस्तारित करने की आवश्यकता है। कुलपति ने बताया कि प्रदेश सरकार बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने को लेकर काफी प्रयास कर रही है। अब जरूरत है कि यहां के किसान भी आगे आएं और पारंपरिक खेती के साथ ही औद्यानिक खेती के जरिए अपनी आय को बढ़ाएं।

कुलपति नरेन्द्र प्रताप सिंह के अनुसार बुंदेलखंड में आवारा जानवरों की बड़ी समस्या को देखते हुए नंदी अभयारण्य शुरू किया गया है। छुट्टा गोवंश के लिए खुले स्थान पर रहने की व्यवस्था की गई है। इनके गोमूत्र और गोबर का उपयोग हम प्राकृतिक खेती में उपयोग कर रहे हैं।

चिंरौंजी की 74 किस्मों पर हुआ शोध विश्वविद्यालय के फल विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ,अखिलेश कुमार श्रीवास्तव के अनुसार 2018-19 से ही फलों की विभिन्न विभिन्न प्रजातियों पर उनकी टीम ने शोध शुरू किया। ऐसे फलों पर शोध किया गया जो पहले यहां कभी नहीं लगाये गये थे। इनमें नींबू, बड़ा नींबू, मुसब्बी और किन्नू संतरा पर शोध किया गया।

सतत् शोध के बाद अब बुंदेलखंड के बांदा और हमीरपुर में किसान इन फलों के जरिए दोगुना लाभ कमा रहे हैं। इसके अलावा शुष्क फल कहे जाने वाले आंवला, बेर, बेल, जामुन, चिरौंजी और महुआ पर भी रिसर्च किया गया है। ये सभी देशज पौधे हैं। इनमें चिरौंजी की 74 किस्मों पर हमने रिसर्च किया है।

बांदा कॄषि विश्वविद्यालय के विषय विशेषज्ञों का कहना है कि दलहनी-तिलहनी फसलों से तय सीमा में ही लाभ कमाया जा सकता है, जबकि औद्यानिक फसलों की खेती तीन से चार गुना ज्यादा लाभकारी होती है।

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