नया साल इस बार भी तेज ठंड और पाला लेकर आया है। तापमान लगातार बदल रहा है। पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में शीतलहर। करवट बदलते मौसम का असर से जहां जनजीवन प्रभावित हुआ है, वहीं खेतों में फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। तेज ठंड जहां गेहूं के लिए फायदेमंद है वहीं अन्य फसलों में रोगों के खतरे हैं।
कहीं मौसम बहुत अधिक ठंडा है, तो कई इलाकों पर घना कोहरे का प्रकोप बना हुआ है। मौसम विभाग के जानकारों केआगामी दिनों में कोहरे के साथ-साथ हवा में गलन बढ़ने की संभावना है। पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में गलन बनी रहेगी। कई इलाकों में ठंड और बढ़ने की संभावना है। दिन और रात के न्यूनतम तापमान में गिरावट आगे भी जारी रहेगी। जिसके चलते किसानों के सामने गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। शीतलहर के साथ रात में पड़ रहे कोहरे और पाले से गेहूं एवं अन्य रबी फसल की खेती को नुकसान पहुंच सकता है।
जानकारों ने किसानों को सलाह दी है कि इन दिनों मैदानी इलाकों सहित अधिकांश राज्य में कोहरा छाया हुआ है। ठंड बढ़ने से पाला पड़ने की संभावना बन रही है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। इससे तापमान 0 डिग्री से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। क्योंकि फसल में हल्की सिंचाई करने से तापमान 0.5-2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि फसलों को पाले और शीतलहर से बचाने के लिए अपने खेतों की उत्तरी- पश्चिमी मेड़ों पर उचित दूरी पर वायु अवरोध पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल और जामुन इत्यादि का पहले से रोपण करें या खेत की मेड़ों पर बीच-बीच में इनके पत्ते लगा दिए जाएं, तो ठंडी हवा के झोंकों से फसल का बचाव किया जा सकता है। अगर गेहूं या आलू फसल में झुलसा और रतुआ रोग की संभावना दिखे तो तत्काल कृषि विभाग या संबंधित अधिकारी से संपर्क करें, इसके अलावा अपने निकटतम कृषि रक्षा इकाई से संपर्क भी कर सकते हैं।
ठंडी हवा के साथ रात में पड़ रहे कोहरे के कारण पाला पड़ने जैसी गंभीर समस्या खड़ी हो रही है। इस वजह किसान भाई पाला और ठंड से फसलों को बचाने के लिए सिंचाई करें जिससे तापमान में बढ़ोतरी होती है। सिंचाई के साथ फसलों पर सल्फर के 80 WDG पाउडर को 3 किलोग्राम एक एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। अत्यधिक ठंड या पाले से सबसे अधिक नुकसान सब्जी फसल या नर्सरी में लगे पौधों को पहुंचता है। इसलिए नर्सरी में लगे पौधों को प्लास्टिक या पुआल डालकर ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है, जिससे रात का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं।
कड़ाके की ठंड से सब्जी की खेती को नुकसान पहुंच सकता है। शीतलहर और रात में पड़ रही ठंड से सबसे ज्यादा आलू की फसल को प्रभावित होने की आशंका है। ठंड और पाले से आलू के पौधों में झुलसा रोग के प्रकोप से 100 प्रतिशत तक नष्ट होने का खतरा रहता है। इस रोग की पहचान या लक्षण को पहचानने के लिए सुबह-सुबह खेत में जाकर पौधे की सबसे नीचे की पट्टी की सतह को पलटने पर सफ़ेद फफूंदी यानि रुई जैसी कोई संरचना दिखाई दे तो तुरंत दवा का छिडकाव करें। यदि इस रोग के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तब तक मैंकोजेब युक्त फफूंदनाशक 0.2 फीसदी की दर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं।