ड्रोन की कीमतें बहुत अधिक हैं जिसकी वजह से हर किसान चाह कर भी इसे नहीं खरीद पाता | दूसरी ओर, सरकार खेती में आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाना चाहती है | ऐसे में किसान और सरकार दोनों की मंशा पूरी करने के लिए ड्रोन विशेष योजना चलाई जा रही है |
इस योजना में सरकार किसानों को ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी देती है | ऐसी ही एक खास स्कीम कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के जरिये चलाई जा रही है जिसमें किसान बिना किसी पूंजी के ड्रोन ले सकता है | अगर कोई किसान केवीके से ड्रोन खरीदता है तो उसे सरकार की तरफ से 100 फीसद (प्रति ड्रोन 10 लाख रुपये तक) तक सब्सिडी दी जा रही है | इस स्कीम का मकसद है कि अधिक से अधिक किसान ड्रोन खरीदें और फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करें |
सरकार किसानों की सुविधा, लागत घटाने और आय बढ़ाने के लिए ड्रोन उपयोग को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए ड्रोन खरीदने में अलग-अलग वर्गों को छूट दी गई है |
व्यक्तिगत तौर पर ड्रोन खरीद के लिए भी सब्सिडी देने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए है | इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति-जनजाति, लघु और सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों के लिए ड्रोन की खरीद के लिए ड्रोन लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम पांच लाख रुपये की सहायता दी जाती है | अन्य किसानों को 40 प्रतिशत या अधिकतम चार लाख रुपये की सहायता दी जाती है |
सरकार कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है | इसका सबसे खास इस्तेमाल कीटनाशकों के छिड़काव में किया जा रहा है | हाथ से कीटनाशक छिड़कने से अधिक मात्रा में खर्च होने और बर्बाद होने की संभावना बनी रहती है | कीटनाशक अधिक छिड़कने से फसलों पर उलटा असर भी होता है. साथ ही, पर्यावरण को भी भारी नुकसान होता है |
इस सभी खतरों से बचाने के लिए सरकार ने कुछ नियम-कायदे के साथ खेती में ड्रोन के इस्तेमाल को हरी झंडी दी है | इसके लिए सरकार ने SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाए हैं | एसओपी में बताया गया है कि किस फसल में ड्रोन से किस तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना है | इससे किसानों का समय बचेगा, साथ ही कीटनाशक की बर्बादी, पैसे का खर्च भी कम होगा |