उत्तर प्रदेश उत्तराखंड पंजाब मणिपुर और गोवा के चुनावी नतीजों ने कांग्रेस की ज़मीनी स्थिति को और दयनीय बना दिया है | इन नतीजों के बाद अब सियासत में यह सवाल उठने लगा है कि अब विपक्षी पार्टियों के गठबंधन की बागडोर कौन थामेगा| क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी जल्दी ही संयुक्त विपक्ष की बैठक बुलाएगी| पांच राज्यों में चुनाव होने तक इस तरह की कोई भी बैठक करने में सभी दल सभी विपक्षी दल हिचक रहे थे| इन नतीजों ने ममता बनर्जी के उस बयान को भी हवा दे दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूपीए नाम की कोई चीज अब नहीं बची है।
विधानसभा चुनाव में पहला दौर की वोटिंग से पहले ही विपक्षी खेमे में यह सुगबुगाहट थी कि कांग्रेस तेजी से अपनी क्षमता खोती जा रही है। अब उसमें भाजपा विरोधी खेमे को संभालने की क्षमता नहीं रही। अब चुनावी नतीजों ने आप ने पंजाब और भाजपा ने उत्तराखंड और गोवा में कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया, ऐसे में कांग्रेस अस्तित्व के संकट की ओर देख रही है। यह हार पार्टी में राहुल विरोधी खेमे के लोगों को मजबूती देगा। हालांकि देखने लायक होगा कि कौन नेता बोलने और नेतृत्व को आईना दिखाने की हिम्मत करेगा। कुछ नेताओं ने भविष्यवाणी की है कि कांग्रेस विभाजन की ओर बढ़ सकती है।
चुनाव से पहले ही एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के नेतृत्व में एक मंच पर आने की मुहिम शुरू हुई है| इससे पहले शिवसेना ने सार्वजनिक तौर पर पवार के नेतृत्व की वकालत की है| कांग्रेस की मुश्किल यह है कि पार्टी में गांधी परिवार पहले से अपनों के निशाने पर हैं और अब पांच राज्यों में मिली चुनाव हार से और निशाने पर होगी| ऐसे में गैरकांग्रेसी चेहरे की अगुवाई में विपक्ष को एक मंच पर लाने की मुहिम शुरू होगी| ऐसे में ममता बनर्जी विपक्ष की ओर से पीएम मोदी के खिलाफ एक बड़ा चेहरा साबित हो सकती हैं|