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वायु प्रदूषण: दिल्ली के लोगों की उम्र आठ साल और यूपी के लोगों की 10 साल कम हो रही है।

विडंबना देखिए कि जहां हम विकास की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं वहीं देश की 63 फीसदी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां प्रदषूण का स्तर देश के अपने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक (40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से भी ज्यादा है।

देश में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह समस्या उत्तर भारत में कुछ ज्यादा ही गंभीर है। आंकड़ों की माने तो भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है। इस बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा वायु प्रदूषण को लेकर जो गुणवत्ता मानक तय किए हैं उनके आधार पर देखें तो देश की सारी आबादी यानी 130 करोड़ भारतीय आज ऐसी हवा में सांस ले रहे है जो उन्हें हर पल बीमार बना रही है, जिसका सीधा असर उनकी आयु और जीवन गुणवत्ता पर पड़ रहा है।

हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पालिसी इंस्टिट्यूट (ईपीआईसी) द्वारा नवीनतम वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक प्रकाशित किया है जिसके अनुसार दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। यहां वायु प्रदूषण की स्थिति इतनी गंभीर हो चली है कि वो हर दिल्लीवासी के जीवन के औसतन 10.1 साल लील रही है। वहीं बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते लखनऊ में रहने वाले लोगों की उम्र 9.5 साल तक घट सकती है।

रिपोर्ट की मानें तो न केवल भारत में बल्कि दुनिया में भी गंगा का मैदानी इलाका दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र है। अनुमान है कि वायु प्रदूषण का वर्तमान स्तर ऐसे ही बना रहता है तो इस क्षेत्र में पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक रहने वाले करीब 51 करोड़ लोग जोकि देश की आबादी का 40 फीसदी है, अपने जीवन के औसतन 7.6 साल खो देंगें।

ऐसा नहीं है कि भारत सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयास नहीं कर रही है। वर्ष 2019 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की शुरआत की थी, जिसका लक्ष्य 2024 तक पीएम 2.5 के स्तर में 2017 की तुलना में 20 से 30 फीसदी की कटौती करना है।

यदि देश अपने इस लक्ष्य को हासिल कर लेता है तो इससे एक औसत भारतीय की जीवन सम्भावना में 1.4 वर्षों का इजाफा हो जाएगा, जबकि एक औसत दिल्लीवासी की उम्र 2.6 साल बढ़ जाएगी। हालांकि यह काम इतना आसान भी नहीं है क्योंकि आज भी देश की 63 फीसदी से ज्यादा आबादी अपने ही राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक से ज्यादा दूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है।

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