शीत ऋतु में आम के बागों में जल्दी निकली हुई पुष्प कलिकाओं को यथासंभव तोड़ देना चाहिए| इससे गुच्छा रोग की संभावना कम हो जाती है| बौर निकलते समय मिज कीट के नियंत्रण के लिए फेन्ट्रियोथियान 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या मोनोक्रोटोफॉस 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या डाइमेथोएट 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाना चाहिए|
यदि गुजिया कीट के लिए पॉलीथीन न लगायी जा सकी हो तो यह छिड़काव इसे भी रोकने में प्रभावी होगा| मधु मक्खियों की कालोनी बक्से सहित फूल आने पर बागों में रखना चाहिए, इससे परागण अच्छा होता है एवं फल अधिक मात्रा में लगते है|
फरवरी में ऐसे करें देखभाल – आम के बौर निकलने पर यदि भुनगा कीट का प्रकोप 5 से 10 भुनगा प्रति बौर हो तो नियंत्रण के लिए कार्बारिल 0.2 प्रतिशत या मोनोक्रोटोफॉस 0.05 प्रतिशत या क्विनॉलफॉस 0.05 प्रतिशत या क्लोरपाइरीफॉस 0.04 प्रतिशत, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी आदि का बदल-बदल कर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाना चाहिए|
यदि खर्रा रोग की शुरूआत दिखाई पड़े तो घुलनशील गंधक का प्रथम छिड़काव 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से करना चाहिए| यदि मिज कीट का प्रभाव बौर पर दिखाई पड़े तो उन बौरों को काटकर नष्ट कर देना चाहिए| भुनगे के लिए किए गए छिड़काव से मिज कीट भी नष्ट हो जाएंगे| यदि आवश्यक हो तो एक छिड़काव और करें|
गुजिया कीट के लिए लगाई गई पॉलीथीन पट्टी को किसी कपड़े से साफ करें| पिछले वर्ष के गुम्मा बौर और पत्तियों को जिस पर खरें का अधिक प्रकोप हों, तोड़कर नष्ट कर दें|