पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं के द्वारा कृषि कार्य किये जातें हैं। पशुपालन, मौन पालन, रेशमकीट पालन, बकरी पालन, मछली पालन और मुर्गी पालन जैसे सहायक उद्यमों के साथ पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं द्वारा सब्जी उत्पादन, उपज की बिक्री और फल प्रसंस्करण जैसे कामों में अपनी महारथ से चुनितियों को स्वीकार करके सफल उद्यमी के रूप में हम सभी के सामने हैं। महिलाएँ कुशल गृहिणी होने के साथ-साथ सफल किसान भी हैं। महिलाओं को वर्तमान समय में भी उनकी बहुमुखी भूमिका को यथोचित मान-सम्मान तथा मान्यता नहीं मिल पाई है। इसलिये इन्हें कई बार ‘अदृश्य कार्यबल’ की संज्ञा भी दी जाती है।
उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ विकासखंड बीण के जजुराली गांव की श्रीमती रेखा भण्डारी इस बात को चरितार्थ करती ऩजर आती हैं। पहाड़ में पारम्परिक रूप से पशुपालन देशी गाय, भैंस पालकर पशुपालन का कार्य किया जाता है। अधिक उत्पादन क्षमता न होने के कारण पर्वतीय क्षेत्र में कृषि व उसके सहायक कार्य को रोजगार का साधन नहीं माना जाता है ।
इसी कमी को पहचान कर रेखा भंडारी द्वारा 2006-07 में स्वयं की डेयरी खोलकर की। दूध बेचने का काम इनके गावं में पहले किसी भी पशुपालक या अन्य के द्वारा नहीं किया जाता था। डेयरी कार्य को तकनीकी रूप से करने के लिए आँचल डेयरी के माध्यम से 15 दिन का प्रशिक्षण अल्मोड़ा में इनके द्वारा डेयरी संचालन के लिए लिया गया। इसी दौरान 2006 में पशुपालन विभाग से बछिया पालन योजना प्रारम्भ हुई। बछिया पालन हेतु जजुराली गावं में मेरे द्वारा अपने साथ के सहभागी 6 अन्य बीपीएल श्रेणी के परिवारों को तैयार किया गया। इन परिवारों की स्थिति 3000 रूपये की धनराशि एक साथ अंशदान जमा करने की नहीं होने के कारण अपने समूह से ऋण लेकर इनके अंशदान को जमा कर हरियाणा से उन्नत नस्ल की गाय खरीद के लाये और सभी परिवार मिलकर वर्तमान समय में 100 -130 लीटर दूध को डेयरी के माध्यम से बेच रहें हैं।
डेयरी व्यवसाय से जुड़े रहने के साथ साथ मेने बेमौसमी सब्जी उत्पादन का कार्य किया यह सोचकर की हमारे गावं में सब्जी जो बाहर से आती हैं उसे हम अपने गावं में उत्पादित कर सकतें हैं। सब्जी उत्पादन के कार्य में सफलता मिलने पर 2013 से मछलीपालन का कार्य भी मेरे द्वारा किया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष 100 से 120 किलोग्राम मछली एक परिवार द्वारा बेची जाती है मछलीपालन कार्य जजराली गांव 10 परिवार एक एक टेंक में कर रहे हैं मछलीपालन आय का एक अच्छा स्रोत कृषि उद्यान के साथ साथ बना है।
पहाड़ में जंगली जानवरों के कारण फसलों को बहुत नुकसान किसान को होता है। इसके लिए हम सभी ने बड़ी इलायची की खेती उन खेतों में शुरू की जिनपर जंगली जानवरों द्वारा ज्यादा नुकसान किया जाता था। बड़ी इलायची की फसल में जंगली जानवरो द्वारा नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है। बड़ी इलायची की कीमत बाजार में प्रति किलोग्राम 800 रूपये प्रति किलो तक मिल जाती है। यह कार्य मेरे परिवार की आजीविका के मुख्य साधन बन गए हैं। में चाहती हूँ कि पहाड़ में पलायन के कारण गांव रोजगार के साधन न होने कारण खाली हो रहे हैं और जो लोग बहुत कम मेहनताना लेकर बाहरी राज्यों में रोजगार की तलाश में गए हैं वह लोग अपने गावं में आकर सब्जी उत्पादन, बड़ी इलायची उत्पादन व मशरूम उत्पादन, मछलीपालन, बड़ी इलायची उत्पादन, लाल मिर्च उत्पादन आदि कार्यों को करें जंगली जानवरों से होने वाले अन्य फसलों के नुकसान की अपेक्षा यह कार्य सुरक्षित है |