चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के चारा अनुभाग ने जई की दो नई उन्नत किस्में विकसित की हैं. इनके नाम एचएफओ 707 व एचएफओ 806 हैं. देश के उत्तर पश्चिमी, दक्षिणी और पर्वतीय राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इन किस्मों से बहुत लाभ होगा| विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज के अनुसार इन दोनों किस्मों में प्रोटीन की मात्रा व पाचनशीलता अधिक होने के कारण ये पशुओं के लिए बहुत उत्तम हैं|
जई की एचएफओ 707 दो कटाई वाली किस्म जबकि एचएफओ 806 एक कटाई वाली किस्म है| उन्होंने बताया भारत सरकार के राजपत्र में केन्द्रीय बीज समिति की सिफारिश पर जई की एचएफओ 707 किस्म को देश के उत्तर पश्चिमी जोन (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उतराखंड) जबकि एचएफओ 806 को देश के दक्षिणी जोन (तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश) और पर्वतीय जोन (हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, जम्मू व कश्मीर) के लिए समय पर बिजाई की सिफारिश की गई है|
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने जई की नई किस्मों की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताया कि एचएफओ 707 किस्म की हरे चारे की औसत पैदावार 696 क्विंटल व सूखे चारे की औसत पैदावार 135 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है| इसकी बीज की औसत पैदावार 23.8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है जबकि क्रूड प्रोटीन की पैदावार 19.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है| यह किस्म हेल्मिन्थोस्पोरियम लीफ स्पॉट बीमारी के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है|
इन किस्मों को विकसित करने में चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों डॉ. डीएस फोगाट, मीनाक्षी देवी, योगेश जिंदल, एसके पाहुजा, सत्यवान आर्य, रविश पंचटा, पम्मी कुमारी, नवीन कुमार, नीरज खरोड़, दलविंदर पाल सिंह, सतपाल, व बजरंग लाल शर्मा का योगदान रहा है| इस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक पहले भी जई की कुछ और किस्में विकसित कर चुके हैं|
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. पाहुजा ने बताया एचएफओ 806 किस्म की दक्षिणी जोन में हरे चारे की औसत पैदावार 376.4 व पर्वतीय जोन में 295.2 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है| इस किस्म के बीज की औसत पैदावार दक्षिणी जोन में 9.5 व पर्वतीय जोन में 23.9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है| इस किस्म की क्रूड प्रोटीन की औसत पैदावार दक्षिणी जोन में 5.5 व पर्वतीय जोन में 7.1 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है| यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू बीमारी के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है|