सूबे के मिथिला इलाके के उत्पादन मखाना को जी-आई टैग मिलने के बाद बिहार सरकार ने इसकी खेती को बढ़ावा देने की योजना को अंतिम रूप दिया है|
|किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि व उद्यान विभाग की ओर से उन्हें विशेष फसल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है| इसके तहत किसानों को सब्सिडी का लाभ दिया जाता है| मखाना विकास योजना के तहत जिले के लिए 145 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है| बीज का स्रोत मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा (स्वर्ण वैदेही) रखा गया है| राज्य सरकार द्वारा मखाना उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 72,750 रुपये सब्सिडी दी जा रही है|
राज्य सरकार व जिला प्रशासन की ओर से उत्पादन बढ़ाने के लिए मखाना की उन्नत किस्म के बीज व खेती पर अनुदान दिया जा रहा है| इस नई प्रजाति के बीज से राज्य में मखाना उत्पादन में काफी वृद्धि के आसार हैं| बता दें कि प्रदेश में स्वर्ण वैदेही जैसी अधिक उपज वाली किस्मों के कारण इसकी उत्पादकता 16 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 टन हो गयी है|
राज्य में मखाना की उच्च प्रजाति के बीज उत्पादन, उसका प्रत्यक्षण व क्षमतावर्धन के माध्यम से उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से मखाना विकास योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है| राज्य सरकार के अनुसार प्रदेश में मखान की उन्नत प्रजाति के बीज की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 97 हजार रुपये की लागत आती है| इस पर किसानों को 75 प्रतिशत यानी अधिकतम 72 हजार 750 रुपये सब्सिडी दी जायेगी| उन्नत बीज के लिए जिले के किसान आवेदन कर सकते हैं|
राज्य सरकार व जिला प्रशासन की ओर से उत्पादन बढ़ाने के लिए मखाना की उन्नत किस्म के बीज व खेती पर अनुदान दिया जा रहा है| इस नई प्रजाति के बीज से राज्य में मखाना उत्पादन में काफी वृद्धि के आसार हैं| बता दें कि प्रदेश में स्वर्ण वैदेही जैसी अधिक उपज वाली किस्मों के कारण इसकी उत्पादकता 16 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 टन हो गयी है|
मखाना की खेती पर अनुदान का लाभ प्राप्त करने के लिए संबंधित जिले के किसान उद्यानिकी विभाग के पोर्टल पर पांच से 20 सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं| मखान की खेती पर सब्सिडी का लाभ लेने वाले किसान हॉर्टिकल्चर डॉट बिहार डॉट गवर्नमेंट डॉट आइएन पर जाकर आवेदन कर सकते हैं|