किसान रासायनिक कीटनाशक की जगह जीवामृत और गौमूत्र कीट नियंत्रण का उपयोग कर सकेंगे| इससे कृषि की लागत कम होगी| साथ ही फूड प्वाइजनिंग कम होगी| गोधन न्याय योजना राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय साबित हुई है| इस योजना के तहत करीब 2 साल में पशुपालन करने वाले ग्रामीणों से 150 करोड़ से ज्यादा का गोबर खरीदा गया है, जिसका सीधा लाभ ग्रामीण पशुपालकों को हुआ है| महिला स्वयं सहायता समूहों और गौठान समितियों को गोबर से वर्मी खाद की खरीद-बिक्री के जरिए 143 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान किया गया है|
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल- सरकार गोबर के बाद गौमूत्र खरीदने जा रही है| गोमूत्र खरीद की ये प्रक्रिया 28 जुलाई को हरेली तिहाड़ से शुरू होगी| छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विकास और किसान कल्याण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से राज्य में गोमूत्र की खरीद के लिए न्यूनतम 4 रुपये प्रति लीटर की राशि प्रस्तावित की गई है|
पहले चरण में हर जिले के 2 गौठानों में गोमूत्र खरीदा जाएगा| महिला स्वयं सहायता समूह गौमूत्र से जीवामृत और कीट नियंत्रण उत्पाद तैयार करेंगे| चयनित समूहों को पशु चिकित्सा विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से ट्रेनिंग दी जाएगी|
सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि गोमूत्र की खरीद प्रदेश में जैविक खेती के प्रयासों को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी| इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में गोमूत्र की खरीदी शुरू की जा रही है| इससे जहां पशुपालकों को गोमूत्र बेचने से अतिरिक्त आय होगी, वहीं महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जीवामृत, गोमूत्र के कीट नियंत्रण उत्पाद तैयार कर समूहों को रोजगार और आय के साधन प्राप्त होंगे|
गोधन न्याय मिशन के प्रबंध निदेशक डॉ. अय्याज तंबोली ने सभी कलेक्टरों को गौठानों में गोमूत्र की खरीद के लिए सभी तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं| उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठान प्रबंधन समिति अपने बैंक खातों में उपलब्ध सर्कुलर फंड की ब्याज की राशि से गोमूत्र की खरीद करेगी| उन्होंने कलेक्टरों को अपने-अपने जिलों के 2 गौठानों, स्वयं सहायता समूहों का चयन करने, गौठान प्रबंधन समिति एवं स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को ट्रेनिंग देने की बात कही गई है| इसके साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि गौमूत्र परीक्षण, गाय से संबंधित किट और उत्पाद के भंडारण की व्यवस्था की जाए|