सेब की खेती बचाने के लिए तीन राज्यों के किसान व कारोबारी एक मंच पर आ गये हैं | अपनी मांगो को लेकर सभी सरकार से नाराजगी जता रहे हैं | हिमाचल प्रदेश में सेब
उत्पादकों ने 20 जुलाई को सड़कों पर आकर जोरदार प्रदर्शन करने का आह्वान किया है| नाराज़ सेब किसानों ने मांगो को पूरा होने तक आन्दोलन जारी रखने का संकल्प दोहराया है|
सेब बागवानी पर आए संकट से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और उत्तराखंड के बागवानों ने साझा मोर्चा बनाया है। इसे हिमाचल के बागवानों की पहल पर श्रीनगर में बनाया गया है। जीएसटी घटाने और विदेशी सेब पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाने से नाराज यह मोर्चा 25 जुलाई को नई दिल्ली जाकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मिलेगा।
मोर्चा कार्टन पर जीएसटी केवल पांच फीसदी रखने और आयात शुल्क 100 फीसदी करने की मांग उठा रहा है। सोमवार को मोर्चा के हिमाचल से प्रतिनिधि और हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने यह जानकारी शिमला में पत्रकार वार्ता में दी। आरोप लगाया कि सरकार संकट में घिरे सेब कारोबार को बचाने में फेल हो गई है।
सोहन ने कहा कि पिछले 15 सालों में सेब की लागत 10 से 20 गुना तक बढ़ गई है, लेकिन मंडियों में इसकी कीमतों में कोई इजाफा नहीं हुआ है। कार्टन की कीमतें 15 से 20 और ट्रे के दाम 20 से 35 फीसदी तक बढ़े हैं। बीते साल मोहन फाइबर की ट्रे का एक बंडल 500 रुपये में मिल रहा था। यह इस बार 800 रुपये में मिल रहा है।
सेब तुड़ान, भरान, ढुलाई, मंडी भाड़ा भी दोगुना हो गया है। फफूंदनाशक, कीटनाशक, खादों आदि पर मिलने वाली सब्सिडी लगभग खत्म कर दी है। 20 जुलाई को सेब उत्पादक क्षेत्रों में धरना प्रदर्शन कर ये मांगें उठाई जाएंगी। पिछले साल सरकार ने महंगे कार्टन से राहत के लिए सेब बेचने को क्रेट उपलब्ध करवाने का लॉपीपाप दिया। इस साल जीएसटी में 6 फीसदी छूट के नाम पर बेवकूफ बनाया गया है।