मां दंतेश्वरी पपई उत्पादन समिति की 43 महिलाओं की मेहनत से अब बस्तर के मंगलपुर गांव की पथरीली जमीन से लाखों का उत्पादन हो रहा है। समिति की हेमवती कश्यप ने बताया कि हमने 10 एकड़ में 300 टन पपीता उगाकर 40 लाख रुपये में बेचा है।
यह जमीन बहुत ही पथरीली और बंजर थी। जमीन को खेती लायक बनाने डेढ़ महीने तक समिति की महिलाओं ने हाथों से पत्थर बीने। तकरीबन 100 ट्राली पत्थर खेतों से बाहर किये। बाहर से लाल मिट्टी लाकर जमीन को समतल किया गया। महिलाओं ने ज़मीन को समतल करने के लिए श्रम दान किया और पपीता का पौधा लगाने के बेड बनाये।
महिलाओं द्वारा डेढ़ महीने की मेहनत से जमीन को तैयार किया उसके बाद जनवरी 2021 को पपीता के पौधे का रोपा गया। महिलाओं की कड़ी मेहनत से आज 10 एकड़ के क्षेत्र में 5500 पपीता के पौधे लहलहा रहे हैं।
अभी तक 300 टन पपीते का उत्पादन हो चुका है। यहां इंटर क्रॉपिंग द्वारा पपीते के बीच में सब्जियां भी उगाई जा रही हैं। एशिया में पहली बार यहां उन्नत अमीना किस्म के पपीते की खेती की जा रही। हेमवती ने बताया कि यह पपीता बहुत मीठा और स्वादिष्ट होने साथ ही पोषक भी है। खेती भी आर्गेनिक पद्धति से की जा रही है।
बस्तर दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महिलाओं का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि तरक्की के लिए मेहनत जरूरी है। बस जानकारी और हौसले की ज़रूरत है। यहां के लोग बहुत मेहनतकश हैं। आपने जो सीखा है, उसे और लोगों को भी सिखाएं। मंगलपुर की ही तरह बस्तर के हर गांव के किसान ऐसी खेती करके तरक्की करें।
समिति के लोगों ने सीएम को बताया कि पपीता बेहद मीठा है। अभी दिल्ली की आजादपुर मंडी में पतीता पहुंचाई जा रही है। पपीते की लगभग 5 टन की 3 खेप भेजी गई है। प्रदेश की राजधानी रायपुर सहित अन्य बाजारों में भी पतीता की सप्लाई हो रही है।
मंगलपुर में महिलाएं पपीता उगाने के लिए ऑटोमेटेड ड्रिप इर्रिगेशन सिस्टम का उपयोग कर रही हैं। पानी और घुलनशील खाद पपीता की जड़ों तक पहुंच रहा है। पथरीली जमीन में ड्रिप इरीगेशन तकनीक से ही खेती संभव है। मुख्यमंत्री को बताया गया कि यह पूरा सिस्टम कंप्यूटरीकृत है| जिसे इंटरनेट द्वारा कहीं से भी ऑपरेट किया जा सकता है। बाड़ी में एक अत्याधुनिक तकनीक का वेदर स्टेशन लगा है, जिससे तापमान, वाष्पीकरण दर, मिट्टी की नमी, हवा में नमी की मात्रा, हवा की गति, हवा की दिशा की जानकारी भी मिल जाती है।