जलवायु परिवर्तन की वजह से फरवरी महीने से ही लू चलने और 40 डिग्री सेल्सियस पार तापमान होने से गेहूं की उपज पर असर पड़ा है|| पैदावार कम होने से किसानों को नुकसान हुआ है|
लगातार बदलते तापमान को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक काफी दिनों से इस विषय पर काम कर रहे हैं लेकिन इस साल इसकी चर्चा ज्यादा है| क्योंकि इस साल गेहूं की फसल पर गर्मी का बहुत बुरा असर पड़ा है|
मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम स्थित गेहूं अनुसंधान केंद्र गेहूं की दो नई किस्मे किसानों के लिए जारी की हैं| यह दोनों किस्में ज्यादा तापमान में भी पैदावार पूरी होगी|
गेहूं की इन नई किस्मों का नाम 1634 और 1636 है| अगले रबी सीजन यानी सितंबर-अक्टूबर से इसका बीज बाजार में आ जाएगा| दरअसल, पुरानी किस्मों के गेहूं के साथ तापमान बढ़ने पर एक समस्या आने लगी है| फरवरी और मार्च में ज्यादा तापमान होने पर समय से पहले फसल पक जाती है|जिससे पैदावार 20-25 फीसदी घट जाती है|
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक 1634 किस्म का गेहूं 110 दिन में तैयार हो जाता है| जबकि 1636 किस्म का गेहूं 115 दिन में तैयार होता है| नई किस्मों का स्वाद पुरानी से बेहतर होने का दावा किया गया है| नए किस्म के सीड में पैदावार पुरानी के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा हो तभी उसे रिलीज किया जाता है|
पुरानी किस्मों के गेहूं जो औसत पैदावार 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, वो फरवरी-मार्च में ज्यादा तापमान होने पर कम होकर 55 से 60 क्विंटल रह गई थी| लेकिन नई किस्म के गेहूं में पैदावार 65 की 65 क्विंटल ही रही| तापमान सामान्य रहे तो पैदावार 70 क्विंटल होती है| कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक 1634 किस्म का गेहूं 110 दिन में तैयार हो जाता है| जबकि 1636 किस्म का गेहूं 115 दिन में तैयार होता है|