अनार की खेती करने से जुड़ी खास बात यह है कि एक पौधे से 25 साल तक फल हासिल किए जा सकते हैं। ऐसे में जितने पौधे लगाए जाएंगे उसकी देखरेख करने पर कई वर्षों तक फसल हासिल की जा सकती है। अनार की खेती भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र में होती है। अब उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात के किसान की खेती कर रहे हैं।
अनार की खेती 38 डिग्री सेल्सियस तापमान मैं अच्छे से होती है। फलों के विकसित होने और पकने के समय गर्म और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है। ऐसे में अनार की खेती बढ़िया तरीके से करने के लिए मिट्टी का भी ध्यान रखना पड़ता है। अनार की खेती ऐसे बगीचे में की जाती है जहां पानी का जमाव न होता हो।
अनार की खेती के लिए जमीन तैयार करते समय जल निकास के पर्याप्त इंतजाम करने चाहिए। अनार की फसल के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। फलों की गुणवत्ता और रंग भारी मिट्टी की तुलना में हल्की मिट्टी में अच्छा होता है। भारत में अनार की कई किस्में पैदा की जाती हैं इसमें सुपर भगवा, ज्योति, मृदुला, अरक्ता और कंधारी प्रमुख वेरायटी हैं।
रोपाई के 3 साल के बाद अनार में फल लगना शुरू हो जाता है। व्यावसायिक खेती करने वाले किसान रोपाई के 5 साल बाद अनार की तुड़ाई करते हैं। अच्छी तरह से विकसित अनार का पौधा 25 से 30 साल तक फल देता है। एक पौधे पर 60 से 80 फल हर साल फलते हैं। एक हेक्टेयर खेत में अनार के बाग लगाने पर लगभग 480 टन फल मिलता है। इसे बेच कर 8-10 लाख रुपये सालाना कमाई हो सकती है।
देश में अनार का क्षेत्रफल 276000 हेक्टेयर, उत्पादन 3103000 मीट्रिक टन है| भारत में अनार की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र में की जाती है|
अनार की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र के पुणे, अहमदनगर, पुणे, सांगली, सोलापुर और वाशिम में होती है| वर्तमान में महाराष्ट्र में अनार की फसल के तहत 73027 हेक्टेयर क्षेत्र कवर है| इसके रस में 10 से 16% चीनी होती है. अनार का रस, फल व छिलका सब गुणकारी है| छिलके का उपयोग कपड़े को रंगने के लिए भी किया जाता है| देश में इसके क्षेत्र में लगातार वृद्धि हो रही है|