तीसरे चरण के लिए कल यानी 20 फरवरी को मतदान होना है. चुनाव में कई ऐसे सियासी योद्धा हैं, जिनकी न सिर्फ प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, बल्कि रिकॉर्ड बचाने की भी चुनौती है| इन धुरंधरों में प्रसपा सुप्रीमो शिवपाल यादव, विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया और बसपा विधायक उमाशंकर सिंह शामिल हैं|
इटावा की जसवंतनगर सीट को अब तक शिवपाल यादव का गढ़ माना जाता रहा है| प्रसपा सुप्रीमो शिवपाल यादव इस सीट पर लगातार 5 बार से विधायक हैं| शिवपाल लगातार छठवीं बार जीत हासिल करने के लिए जसवंतनगर से चुनावी मैदान में हैं. मुलायम सिंह यादव ने 1996 में शिवपाल सिंह यादव के लिए यह सीट छोड़ी थी| तब से लेकर 2017 के विधानसभा चुनाव तक शिवपाल का इस सीट पर कब्जा रहा है| हालांकि, इस बीच समय-समय पर शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आती रहीं| जसवंतनगर सीट से बीजेपी ने विवेक शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया है| बसपा ने ब्रजेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया है| कांग्रेस ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है|
रघुराज प्रताप सिंह के राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह प्रतापगढ़ जिले की कुंडा सीट से 6 चुनाव निर्दलीय जीत चुके हैं| राजनीति के जानकारों की मानें तो इससे पहले के चुनावों में उनकी जीत लगभग तय मानी जाती रही है, और चुनाव परिणाम आने पर हर बार कयास सही साबित भी हुए हैं| लेकिन इस बार की राजनीति में बहुत कुछ बदल चुका है| साल 1993, से 2017 तक के विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीतने वाले राजा भैया के सामने समाजवादी पार्टी बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है| सपा ने कुंडा से गुलशन यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है| इसके अलावा कांग्रेस, बीजेपी और बसपा ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं|
यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा की सक्रियता जरूर कम नजर आ रही है, लेकिन बलिया जिले की रसड़ा से बसपा ने सीटिंग विधायक उमाशंकर सिंह पर तीसरी बार भरोसा जताया है| उमाशंकर 2012 और 2017 के विधानसबा चुनाव में चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं| इस बार वह विधानसभा चुनाव में तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं| उमाशंकर सिंह ने 2012 में 84436 मत से जीत दर्ज की, जबकि 2017 के चुनाव में 92272 मतों के अंतर से जीत दर्ज की| इस बार भी उनके सामने अपना रिकार्ड बनाएं रखने की चुनौती है|