मध्य प्रदेश की पहचान बन चुका कड़कनाथ मुर्गा पूरे देश में पसंद किया जा रहा है| अब केंद्र सरकार ने भी कड़कनाथ मुर्गें के पालन पर जोर दिया है| प्रदेश के 4 जिलों को केंद्र सरकार की तरफ से कड़कनाथ मुर्गें के पालन के लिए 3 करोड़ रुपए की राशि दी ग गई है|
कड़कनाथ मुर्गा मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की पहचान है, जिसे अपने काले रंग के कारण जीआई टैग मिला हुआ है| कड़कनाथ मुर्गा पालन के लिए झाबुआ जिले में 30 हजार की क्षमता वाली नई हेचरी मशीन लगाई गई है|
कड़कनाथ के मांस में नमी 17.5 से 73 परसेंट होती है, जबकि प्रोटीन 21 से 24 प्रतिशत तक पाया जाता है| फेट (Fat) की मात्रा 1.94 प्रतिशत है| जबकि अन्य तत्व 1% हैं. कड़कनाथ की अन्य मुर्गियों से तुलना की जाए तो अन्य मुर्गियों में प्रोटीन 18 परसेंट होता है. जबकि फेट (Fat) 13.25% तक पाया जाता है. इसके अलावा लेनोलिक एसिड कड़कनाथ में 24% होता है, जबकि अन्य मुर्गी में 21 परसेंट| इसके साथ ही कड़कनाथ के मांस में विभिन्न प्रकार के अमीनो एसिड अधिक मात्रा में पाए जाते हैं| विटामिन बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, के साथ विटामिन सी औ विटामिन ई भी कड़कनाथ में अधिक मात्रा में होते हैं|
अप्रैल माह में पड़ रही भीषण गर्मी ने हर किसी को हलाकान कर रखा है। इससे विश्व प्रसिद्ध कड़कनाथ मुर्गा भी अछूता नहीं रहा है। गर्मी इतनी ज्यादा है कि उन पर हीट स्ट्रोक का खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए शासकीय कड़कनाथ कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र में 6 जंबो कूलर लगाए गए हैं। इसके अलावा खिड़कियों पर टाट के परदे बांधकर दिन में चार बार उन्हे पानी से गीला किया जा रहा है ताकि तापमान नियंत्रित रहे और कड़कनाथ सुरक्षित। जिला उत्पाद में शामिल कड़कनाथ मुर्गे की मांग बहुत ज्यादा है। इसकी ब्रांडिग भी सरकार कर रही है। इस बार मार्च माह से ही भीषण गर्मी पड़ रही है। वर्तमान में तापमान 40 डिग्री से ऊपर चल रहा है और ऐसा लग रहा है मानो गर्मी सारे रिकॉर्ड तोडऩे पर आमादा है। इतना अधिक तापमान मुर्गे की विश्व प्रसिद्ध प्रजाति कड़कनाथ की सेहत नहीं बिगड़े इसके लिए कड़कनाथ कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र में उन्हे गर्मी से बचाने के लिए तमाम तरह के जतन किए जा रहे हैं। इसके लिए कूलर तो लगाए ही गए हैं, साथ ही कड़कनाथ को नियमित इलेक्ट्रोलाइट पावडर के साथ विटामिन सी, प्याज और बी कॉम्प्लेक्स की खुराक भी दी जा रही है। जिससे उनकी सेहत सही रहे और अंडे व चूजे का उत्पादन प्रभावित न हो।
कड़कनाथ मुर्गे की मांग बहुत ज्यादा है। इसकी ब्रांडिग भी सरकार कर रही है। इस बार मार्च माह से ही भीषण गर्मी पड़ रही है। वर्तमान में तापमान 40 डिग्री से ऊपर चल रहा है और ऐसा लग रहा है मानो गर्मी सारे रिकॉर्ड तोडऩे पर आमादा है।
इतना अधिक तापमान में मुर्गे की विश्व प्रसिद्ध प्रजाति कड़कनाथ की सेहत नहीं बिगड़े इसके लिए कड़कनाथ कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र में उन्हे गर्मी से बचाने के लिए तमाम तरह के जतन किए जा रहे हैं। इसके लिए कूलर तो लगाए ही जाते हैं| साथ ही कड़कनाथ को नियमित इलेक्ट्रोलाइट पावडर के साथ विटामिन सी, प्याज और बी कॉम्प्लेक्स की खुराक भी देने की सलाह भी विशेषज्ञों ने दी है | इससे उनकी सेहत सही रहे और अंडे व चूजे का उत्पादन प्रभावित न हो।
विशेषज्ञों के अनुसार 35 डिग्री से अधिक तापमान होने पर उत्पादन प्रभावित होता है। हालांकि गर्मी से बचाने के लिए किए गए उपायों की वजह से फिलहाल प्रतिदिन 600 अंडो का उत्पादन हो रहा है।
शासकीय कड़कनाथ कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र में वर्तमान में करीब 3 हजार मुर्गियों को रखने की क्षमता है। इसे अगले साल तक बढ़ाकर 6 हजार किए जाने का लक्ष्य है। इस दिशा में कार्य शुरू हो गया है। जब कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र की क्षमता बढ़ेगी तो अंडे और चूजो का उत्पादन भी दोगुना हो जाएगा।
क्षेत्रीय भाषा में इसे कालामासी भी कहा जाता है। क्योंकि इसका मांस, चोच, कलंगी, जुबान, टांगे, नाखून, चमड़ी सभी काली होती है। यह मिलैनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण होता है।
कडकनाथ के मांस में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में और वसा न्यूनतम मात्रा में होता है। इसे औषधिय गुणों वाला माना जाता है। कडकनाथ को हृदय व डायबिटिज रोगियों के लिए उत्तम आहार माना जाता है।
कड़कनाथ पालन को बढ़ावा देने की एक योजना के तहत मध्य प्रदेश सरकार इसके लिए सहायता भी दे रही है |