बीते 50 सालों में असंतुलित और बढ़ी गर्मी ने फलों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। फलों का आकार व उत्पादन तो घटा ही है, उनकी मिठास में भी कमी आई है। विशेषज्ञों के मुताबिक तेज गर्मी से मिठास में पांच से 10 फीसदी तक कमी देखी जा रही है।
फलों का फसलचक्र भी बिगड़ा है। कई फल समय से पहले ही बाजार में आ रहे हैं। डा. वीके त्रिपाठी के मुताबिक आम का मार्च से पुष्पन शुरू होता है। इस दौरान 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान रहना चाहिए। मगर यह 40 डिग्री तक पहुंच जा रहा है। इससे परागण प्रभावित होता है और फल कम लगते हैं। फल का आकार छोटा रह जाता है। वह समयपूर्व ही पक जाता है। आम की मशहूर किस्म दशहरी पहले जून में आती थी, अब मई में ही आने लगी है। मिठास लगातार घट रही है।
पपीता और उसकी खेती करने वाले किसानों पर भारी गुजर रही है। पपीते की फसल अप्रैल में होती है और इसी महीने अचानक तेज गर्मी से इस फल का लिंगानुपात बदल रहा है। पपीते में नर फल हलका और पतला व मादा फल भारी व मोटा होता है। विशेषज्ञों ने तीन साल के अध्ययन में पाया है कि अप्रैल की तेज गर्मी में पेड़ पर नर फलों की बहुतायत हो रही है, मादा फलों की उपज नगण्य होने लगी है। यह अध्ययन चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के उद्यान विभागाध्यक्ष डा. वीके त्रिपाठी का है।
तीन साल तक लगातार तापमान और पपीते के जेंडर रेशियो का अध्ययन करने के दौरान यह खुलासा हुआ है। लगातार अधिक तापमान होने पर पपीते के मादा फल बहुत कम रह जाते हैं।
उन्होंने बताया कि पपीता जुलाई-अगस्त में रोपा जाता है। फरवरी में पुष्पन शुरू होता है और अप्रैल-मई में फल लगते हैं। इस दौरान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान रहना चाहिए। अगर यह तापमान मिले तो पेड़ लगभग बराबर मात्रा में नर व मादा फल देता है।
पिछले तीन वर्षों से अप्रैल में तापमान अचानक 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। इससे पेड़ों पर मादा फल बेहद कम और नर फल कहीं ज्यादा लग रहे हैं। दक्षिण भारत के संतुलित तापमान वाले इलाके में ऐसा नहीं हुआ है। जहां तापमान मानक के अनुरूप था, वहां उसी बीज के पौधों में मादा फल ज्यादा, नर फल कम पाए गए हैं।
आम उत्तर प्रदेश की मुख्य बागवानी फसल है। प्रदेश में लगभग 40 से 45 लाख मैट्रिक टन आम उत्पादित होता है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 83 प्रतिशत है। आम उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश के बाद आंध्र प्रदेश, बिहार एवं कर्नाटक आम उत्पादन करने वाले अग्रणी राज्य हैं।
उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर जनपद आम फल पट्टी क्षेत्र घोषित है। जहां पर दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौसा, बाम्बे ग्रीन रतौल, फजरी, रामकेला, गौरजीत, सिन्दूरी आदि किस्मों का उत्पादन किया जा रहा है। मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र के 26,400 हेक्टेयर क्षेत्रफल में दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौसा उत्पादित किया जा रहा है। फलों की गुणवत्ता एवं भण्डारण तथा विपणन के लिए प्रदेश सरकार ने मलिहाबाद में विशेष व्यवस्था की है।