किसानों को उन्नत और अच्छी पैदावार के लिए एचएयू ने सरसों की नई किस्म तैयार की है, जो आरएच 725 के नाम से है। इस किस्म में तना गलन की समस्या दूर होगी। कई बार सरसों की फसल में तना गलन की समस्या होती है, जिससे उखड़ जाती है। आम भाषा में इसे उखेड़ा कहते है। इस बीमारी का जल्दी से किसानों को पता ही नहीं चलता। ऐसे में पैदावार में भी कमी आती है। इसमें ऐसा नहीं होगा। किसानों को पूरी पैदावार मिलेगी। एक तरह से किसानों के लिए यह फायदेमंद होगी।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) ने सरसों की नई किस्म की आरएच 720 बाजार में ला दिया है, ताकि आसानी से किसान खरीद सके। इसे एचएयू ने रबी कृषि मेले में भी स्टाल में प्रदर्शनी के लिए रखा था। किसानों ने भी इस किस्म के प्रति काफी रूचि दिखाई। शुरूआत में किसान इस्तेमाल के लिए यह फसल लेकर गए हैं। इस फसल में न ज्यादा खर्चा आता है और न हीं ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ती है।
किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है| बता दें कि किसानों के लिए गेहूं के साथ सरसों की अच्छी फसल नुकसान होने से बचा सकती है| मौजूदा समय में सरसों की इस किस्म को काफी पसंद किया जा रहा ह है|
सरसों की आरएच 725 किस्म से उत्पादन
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सरसों की आरएच 725 किस्म लगभग 136 से 143 दिन में पक कर तैयार हो जाती है, जिससे लगभग 35 से 40 किलो प्रति एकड़ से अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है|
यह प्रक्रिया अपनाएं
– बिजाई के समय पहले बीज उपचार जरूर करें|
– बाउस्टिंग व कार्बनडाजिंग दवा से प्रति किलो बीज में दो ग्राम दवा डालकर उपचार या मिलाएं।
– बिजाई के ऊपर 75 किलो एसएसपी, 14 किलो एमओपी व 35 किलो यूरिया डालक छिड़काव करें।
– इसके बाद 35 किलो यूरिया डालें
– 45 से 50 दिन बाद वाउस्टिंग फास्ट दवा से प्रति लीटर पानी में एक ग्राम दवा का घोल बनाकर स्प्रे करे, जो तना गलन में रोकेगी।
– 60 से 70 दिन बाद इसी दवा का दूसरा स्प्रे करे
– यह किस्म अगर नहरी जमीन है तो 27 से 28 क्विंटल, बिरानी में 25 से 26 क्विंटल और पछेती खेती में 20 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार देगी।
यह भी ध्यान रखें
अगर सरसों की फसल में सफेद रतवा आता है तो डाइइथेन एम 45 दवा का स्प्रे करे। इस बीमारी में पत्तों की नीचे फफुंद आ जाती है। 250 से 300 लीटर पानी में 600 से 800 ग्राम का स्प्रे करे। ऐसी बीमारी कई बार फसल में आ जाती|
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