tag manger - जलवायु परिवर्तन की वजह से नींबू की उपज पर असर – KhalihanNews
Breaking News

जलवायु परिवर्तन की वजह से नींबू की उपज पर असर

आमतौर पर ट्रक वाले, दुकानदार और दूसरे कारोबारी अपने प्रतिष्ठानों पर लोगों की बुरी नजर से बचने के लिए मिर्च और नींबू टांगते थे, वही लोग आज एक अदद नींबू के लिए परेशान हैं |

पहली बार नींबू इन दिनों राष्ट्रीय चर्चा का विषय बने हुए हैं। कारण है नींबू के आसमान छूते भाव। थोक में भी नींबू के दाम इन दिनों 150 से 250 रुपए किलो देश की अलग अलग मंडी में बने हुए हैं। कारण बताया जा रहा है कि इस बार नींबू का उत्पादन देश में कम है। इस कारण फुटकर में नींबू के दाम तो 250 से 500 रुपए किलो तक देखे जा रहे हैं। यानी एक नींबू 7 से 15 रुपए का हो गया है। गर्मी के इस मौसम में नींबू के दामों में इस तेजी ने लोगों की शिकंजी का मजा बिगाड़ दिया है। गली-ठेले में मिलने वाला एक ग्लास नींबू पानी अब कोको-कोला से भी महंगा बिक रहा है।

नींबू थोक में 250 रुपए किलो से ऊपर बिक रहा था, उसके दामों में पिछले सप्ताह में कुछ गिरावट थी और इसके दाम 100 से 120 रुपए किलो तक आ गए थे। लेकिन इस सप्ताह फिर नींबू के भावों में तेजी है और इसके दाम 150 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं।

आवक कम होने और मांग अधिक होने से नींबू के दामों में भारी तेजी बनी हुई है। नींबू आंध्रप्रदेश के कोडूरू, महाराष्ट्र के श्रीगोंडा और तमिलनाडु, मध्यप्रदेश से आ रहा है।

लेकिन सवाल यही उठता है कि नींबू का उत्पादन आखिर इस बार कम क्यों है। नींबू कोई सीजन की फसल तो है नहीं कि इसमें सीजन की तरह कमी-बेशी उत्पादन में होती हो। नींबू के पेड़ एक बार लगने के बाद सालों-साल फल देते रहते हैं। लेकिन इस बार क्या पेड़ अचानक सूख गए हैं या फिर उनमें फल नहीं आए हैं।

किसानों ने बताया कि पेड़ सूखने जैसी कोई समस्या नहीं है। सांगानेर में एक फार्म हाउस में नियमित खेती करने वाले किसान तुलाराम सैनी ने बताया कि इस बार उनके पेड़ों में फल नहीं आए हैं। ऐसा क्यों हुआ , इस पर वो हैरान हैं।

कृषि वैज्ञानिक और ग्लोबल विवेकानंद यूनिवर्सिटी के डीन प्रो. होशियार सिंह इसके कारणों पर प्रकाश डालते हैं। उन्होने बताया कि ऐसा मौसम में अचानक परिवर्तन आने से हुआ है। इस बार मार्च के पहले सप्ताह में ही उत्तर भारत में तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। मार्च के पहले पखवाड़े में ही नींबू में फूल आते हैं और फिर फ्रूट सेटिंग होती है। लेकिन इसके लिए तापमान 32 डिग्री से कम होना जरूरी होता है।

तापमान अचानक बढ़ जाने से इस बार फ्रूट सेटिंग नहीं हो सकी और इस तरह से पेड़ों में फल नहीं आए। नतीजा सामने है, नींबू के पेड़ तो हैं पर उन पर फल नहीं आए और तरह नींबू की किल्लत पैदा होने के चलते नींबू के भाव आसमान छू रहे हैं |

इस बार पूरा उत्तर भारत नींबू के लिए दक्षिण भारत पर निर्भर बना हुआ है। नींबू की फसल हर तीन माह में आती है। इसलिए फिलहाल एक-डेढ़ माह तो नींबू की इस महंगाई से निजात मिलने के आसार नहीं हैं।
इधर, दुनिया में नींबू के बड़े उत्पादक देशों में शामिल
अर्जेंटीना से नींबू का आयात करने की कोशिश कर रहे हैं भारत के कारोबारी|

About admin

Check Also

पूर्वोत्तर राज्यों में दाल और बागवानी फसल उत्पादन बढ़ाने की तैयारी

पूर्वोत्तर राज्यों में दाल और बागवानी फसल उत्पादन बढ़ाने की तैयारी

गुवाहाटी में आयोजित एक दिवसीय राउंड टेबल कांफ्रेंस में भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *