स्विट्जरलैंड की जीवूडान कंपनी ने एचपीएमसी यानी हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन और प्रसंस्करण निगम से 300 टन सेब कंसंट्रेट यानी गाढ़ा जूस खरीदने से इन्कार कर दिया है| इस सौदे मे भारत में अधिक जीएसटी लगाने की वजह से बदलाव किया है| स्विट्जरलैंड ने अब तीन सौ टन की अपेक्षा 90 टन ही कंसंट्रेट खरीदने का आर्डर दिया है।
स्विट्जरलैंड की जीवूडान कंपनी ने एचपीएमसी यानी हिमाचल प्रदेश बागवानी से अब तीन सौ टन की अपेक्षा 90 टन से कंसंट्रेट खरीदने का आर्डर दिया है। इससे पूर्व एचपीएमसी ने करीब 150 टन सेब कंसंट्रेट स्विट्जरलैंड की इस कंपनी को सप्लाई किया है। एचपीएमसी से तीन सौ टन सेब कंसंट्रेट खरीदना था लेकिन कार्बोनेटिड ड्रिंक्स पर 12 फीसद के स्थान पर 40 फीसद जीएसटी लागू होने के कारण पहले तो सेब कंसंट्रेट लेने से ही इंकार कर दिया था अब 90 टन सेब कंसंट्रेट एचपीएमसी से लेने के लिए आर्डर दिया है।
स्विटजैरलैंड की कंपनी ने 2021 में पहली बार एचपीएमसी से सेब कंसंट्रेट लेने के लिए हामी भरी थी। टैक्स बढ़ने के कारण अब कटौती की है। जीवूडान कंपनी अभी तक चीन और अन्य देशों से सेब का कंसंट्रेट खरीद रही थी।स्विट्जरलैंड की जीवूडान कंपनी फ्लेवर व फ्रेगनेंस उत्पादन करने और बेचने वाली विश्व की सबसे बड़ी कंपनी है।
सेब के कंसंट्रेट से भी ये कंपनी उत्पाद तैयारी करेगी और उसे यूराेपिय देशों के साथ पूरे विश्व को आपूर्ति करती है।इस कंपनी को फलों का कंसंट्रेट ही चाहिए होता है, जिससे अपने उत्पादों को तैयार कर सके। जीवूडान कंपनी का फ्लेवरस व फ्रेंगनेंस तैयार करने की फैक्टरी पुणे में भी है।
जूस पतला होता है और उसे सीधे पिया जा सकता है। जबकि सेब का या किसी भी फल का कंसंट्रेट शहद से भी गाढ़ा होता है। यही कारण है कि कंसंट्रेट लीटर में न बल्कि प्रति किलो के हिसाब से बिकता है इसलिए मीट्रिक टन में इसकी आपूर्ति होती है। एक किलो या एक बोतल सेब के कंसंट्रेट में छह बोेतल पानी मिलाने पर सात बोतल जूस तैयार हो जाता है। कंसंट्रेट से ही बाद में अन्य उत्पाद तैयार होते हैं।
इस तरह के सौदो से दुनिया के बाजार में एचपीएमसी की साख बढ़ेगी और उत्पादों के बिकने से मुनाफे में आएगी| विदेशी कंपनियों को उत्पाद बेचने से ब्रांडिंग होगी और कई अन्य कंपनियां उत्पाद खरीदेंगी।