पशुओं की संख्या बढ़ने के साथ उनके अंतिम निपटारा करना समस्या है। योगी-सरकार ने इसके लिए सूबे में सभी 18 नगर निगमों के कार्य क्षेत्र में बिजली की मदद से पशुओं के लिए शवदाह गृह बनाने को कहा है। मुख्यमंत्री ने मॄत पशुओं को नदियों में न फेंकने के सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री श्री योगी ने स्पष्ट कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी दशा में मृत पशुओं को नदियों में प्रवाहित न किया जाए। हमें इसके लिए लोगों को व्यवस्था देनी होगी। सभी नगर निगमों में पशुओं/जानवरों के अंत्येष्टि के लिए इलेक्ट्रिक शवदाहगृह का निर्माण कराएं। चरणबद्ध रूप से इसे अन्य नगरीय निकायों में स्थापित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि गोवंश संरक्षण के लिए संचालित मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के आशातीत परिणाम मिले हैं। अब तक एक लाख 85 हजार से अधिक गोवंश इस योजना के तहत आमजन को सुपुर्द किए गए हैं। गोवंश की सेवा कर रहे सभी परिवारों को ₹900 प्रतिमाह की राशि हर महीने उपलब्ध करा दी जाए। इसमें कतई विलम्ब न हो। डीबीटी के माध्यम से धनराशि सीधे परिवार को भेजी जाए।
गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की मुहिम को सफल बताते हुए उन्होंने कहा 29 जिलों में अब तक 2536 हेक्टेयर भूमि कब्जा मुक्त करायी जा चुकी है। निराश्रित गोवंश संरक्षण में जनसहयोग का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 6889 स्थलों पर 11.82 लाख गोवंश संरक्षित हैं। इस समस्या का समाधान जन सहयोग से सहज संभव है।
पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, विक्रय, नस्ल सुधार आदि की विभागीय मंत्री द्वारा साप्ताहिक समीक्षा करने की आवश्यकता बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी आश्रय स्थल में नंदी के हो पृथक व्यवस्था, कहीं न हो चारे-भूसे-चोकर की कमी*न हो।
एक उच्च स्तरीय बैठक में उन्होंने निराश्रित गोवंश संरक्षण की दिशा में सतत प्रयासों के संतोषप्रद परिणाम मिल रहे हैं। वर्तमान में 6889 निराश्रित गोवंश स्थलों में 11.89 लाख गोवंश संरक्षित हैं। हमें छोटे-छोटे निराश्रित गोवंश स्थलों के स्थान पर बड़े गोवंश स्थल उपयोगी हो सकते हैं। नस्ल सुधार व गोबरधन प्लांट जैसे कार्यक्रमों को बढ़ाये जाने की जरूरत है। विकास खंड तथा जनपद स्तर पर स्थापित वृहद गो-आश्रय स्थल इस कार्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं। इन्हें नियोजित रूप से प्रोत्साहित करें। हर विकास खंड व जनपद स्तर पर 4000-5000 गोवंश क्षमता के वृहद गोवंश स्थल के लिए स्थान चिन्हित किया जाए। प्रत्येक निराश्रित गो-आश्रय स्थलों पर केयर टेकर की तैनाती जरूर हो।
निराश्रित गोवंश संरक्षण का कार्य बिना समाज के सहयोग के कभी पूर्ण नहीं हो सकता। निराश्रित गोवंश के संरक्षण में आम जन को सहयोग के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। गाय हमारी संस्कृति में पूजनीय है। बड़ी संख्या में लोग स्थानाभाव के कारण गो-सेवा नहीं कर पाते हैं। ऐसे परिवारों से एक निश्चित आर्थिक सहयोग लेकर उनके द्वारा चिन्हित गोवंश की निराश्रित गोआश्रय स्थल पर सेवा की जानी चाहिए। यदि गाय दूध दे रही है तो उसका उपयोग भी सम्बंधित परिवार को करने की अनुमति दें। इस संबंध में संबंधित विभाग द्वारा स्पष्ट नीति तैयार की जाए।
निराश्रित गो आश्रय स्थलों में गोवंश के भरण पोषण की अच्छी व्यवस्था रहे। इसके लिये मॉनीटरिंग की आवश्यकता है। भूसा, हरा चारा, चोकर आदि की व्यवस्था समय से कर ली जानी चाहिए। सरकार की ओर से गो-आश्रय स्थलों को पर्याप्त धनराशि दी जा रही है। इस धनराशि का समुचित उपयोग हो। निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में व्यवस्था के निरीक्षण के लिए हर जनपद में नोडल अधिकारी तैनात किया जाए। ब्लॉक स्तर पर पशु चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी हो। जनपद स्तर पर व्यवस्था की साप्ताहिक समीक्षा करते हुए शासन को मासिक रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। विधिवत सत्यापन के साथ ही निराश्रित गोआश्रय स्थलों के लिए धनराशि आवंटित कर दी जाए। पशुपालन, ग्राम्य विकास, पंचायती राज व नगर विकास विभाग अंतर्विभागीय समन्वय के साथ गो-आश्रय स्थलों में अच्छी सुदृढ़ व्यवस्था के लिए कार्य करें।
उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य है। गांवों में दुग्ध सहकारी समितियां गठित कर दुग्ध उत्पादकों को गांव में ही उनके दूध के उचित मूल्य पर विक्रय की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नन्द बाबा दुग्ध मिशन योजना संचालित की गयी है। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। अधिकाधिक दुग्ध उत्पादकों को इसका लाभ दिलाया जाए।PHOTO CREDIT – google.com