ओडिशा में बीज उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि दी गई| राज्य के रजिस्टर्ड बीज उत्पादकों के बीच वितरित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा ओडिशा राज्य बीज निगम को नौ करोड़ रुपए से अधिकी की प्रोत्साहन राशि दी गई|
ओडिशा में बीज उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि दी गई|
यह राशि ओडिशा के अधिकारिता मंत्री अरुण साहू के वादे के तुरंत बाद जारी की गई है| अरुण साहू से राज्. के किसान प्रतिनिधिमंडलों से वादा किया था कि दो दिनों के भीतर उनके लिए प्रोत्साहन राशि जारी कर दी जाएगी| इसके बाद बीज निगम ने आरटीजीएस प्रणाली के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में प्रोत्साहन राशि को ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है|
बीज निगम द्वारा लाभ लेने वालों को पीएफएमएस प्रणाली के जरिए पैसा ट्रांसफर नहीं किया सका क्योंकि वित्त मंत्रालय के लेखा महानियंत्रक द्वारा पीएफएमएस के लिए पिछले वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद डीबीटी के लिए राज्य सरकार के अनुरोध का जवाब नहीं दिया| निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस पत्र में बताया कि जिन पंजीकृत किसानों ने 2021-22 में निगम को प्रमाणित बीज की आपूर्ति की है, उन्हें एक दो दिन में उनका लाभ मिल जाएगा|
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत राज्यों को प्रदान की जाने वाली केंद्रीय सहायता से ओडिशा के 2,000 से अधिक किसान लाभान्वित होंगे. बीज उत्पादक किसानों को केंद्र की तरफ से केंद्र 2,000 रुपये प्रति क्विंटल धान बीज (20 रुपये प्रति किलो) का उत्पादन प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिसे किसानों और निगम के बीच 75:25 के अनुपात में साझा किया जाता है| ओएसएससी को प्रोत्साहन से लगभग 2.25 करोड़ रुपये की आय होगी|
राज्य सरकार को सरेंडर करनी पड़ी थी राशि
इससे पहले खबर आयी थी कि कृषि एवं किसान अधिकारिता विभाग की लापरवाही के लिए राज्य सरकार को 9 करोड़ रुपये की उत्पादन सब्सिडी केंद्र को सरेंडर करनी पड़ी है|
बताया गया कि
हाइब्रिड ताक़त बनाए रखने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीज प्रतिस्थापन दर (एसआरआर) में सुधार के लिए हाइब्रिड धान के बीजों को बढ़ावा देने के लिए साल 2021-22 में केंद्रीय सहायता प्राप्त करने वाला विभाग वित्तीय बंद होने से पहले बीज उगाने वाले किसानों के बीच निधि का वितरण नहीं कर सका था|
नतीजतन, ओडिशा राज्य बीज निगम (ओएसएससी) को सूखे, बाढ़, खारा और कीट प्रतिरोधी किस्मों के प्रमाणित संकर बीज की आपूर्ति करने वाले लगभग 6,000 किसान अपने प्रोत्साहन से वंचित रह गए जो 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से दिया जाता है|