महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के तहत 2020-21 के दौरान 23 राज्यों में एक भी रुपये का बजट नहीं भेजा गया है| यह ग्रामीण विकास मंत्रालय की स्कीम है जिसे 2011 में शुरू किया गया था| पिछले दो साल में ही इसके तहत रिलीज धनराशि में छह गुना की कमी देखी गई है|
इस योजना के तहत पिछले साल यानी 2020-21 में राज्यों को सिर्फ 11.20 करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि 2018-19 में यह रकम 65.60 करोड़ थी|
बीते साल केंद्र सरकार ने इस स्कीम के तहत अरुणाचल प्रदेश को 4.12, झारखंड को 3.49, नागालैंड को 2.35, उत्तराखंड को 0.67 और पुदुचेरी को 0.57 करोड़ रुपये जारी किए हैं|
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना एक मांग आधारित कार्यक्रम है| इसमें हर साल राज्यवार आवंटन का कोई प्रावधान नहीं है. कृषि क्षेत्र में महिला किसानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार कई उपाय कर रही है| कुछ योजनाओं में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक मदद दी जा रही है|
कृषि क्षेत्र में महिलाओं से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर काम करने के लिए बनाए गए भुवनेश्वर स्थित केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान के निदेशक पद पर इस समय भी एक पुरुष काबिज है| जबकि खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, भारतीय कृषि में महिलाओं का योगदान लगभग 32 प्रतिशत है|
पूर्वोत्तर तथा केरल में तो कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं का योगदान पुरुषों के मुकाबले कहीं अधिक है| करीब 7.5 करोड़ महिलाएं दूध उत्पादन और पशुधन प्रबंधन में उल्लेखनीय भूमिका निभा रही हैं| वहीं 48 प्रतिशत महिलाएं कृषि संबंधी रोजगार में शामिल हैं|