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रेगिस्तान में अनार की फसल बदल रही किसानों की किस्मत

भुजिया और रसगुल्लों के लिए अपनी पहचान रखने वाला बीकानेर अब देशभर को अपने अनार की सप्लाई कर रहा है। बीकानेर ने अब अपनी अनार की खेती के लिए भी नई पहचान बना ली है। यहां बड़े पैमाने पर अनार की खेती की जा रही है। रेगिस्तान में अनाज की खेती किसी क्रांतिकारी बदलाव के कम नहीं है। किसान भी अनार की फसल को लेकर उत्साहित नजर आ रहे हैं।

पश्चिमी राजस्थान अब अनार की खेती के जरिए अपनी नई पहचान बना रहा है। यहां के किसानों का अब मूंगफली, बाजरा और ग्वार की फसल छोड़कर अनार की खेती की तरफ रुझान बढ़ रहा है। सिरोही, जालोर, जैसलमेर और बाड़मेर जिले के बाद अब बीकानेर के किसान भी अनार की खेती से लाखों की कमाई करने में लगे हुए हैं।

पिछले 5 सालों से यहां के किसानों ने अपनी खेती के प्रति रूचि में बदलाव किया है। जहां कभी पानी की कमी के कारण खेती करने में परेशानियों का सामना करना पड़ा था, आज वहां अनार के पौधे लहरा रहे है। एक अनुमान के मुताबिक अकेले बीकानेर में दो लाख से ज्यादा अनार के पौधे लगे हुए हैं, जो आने वाले वक्त में किसानों को मुनाफा देगा|

अनार की खेती करना मुनाफे के साथ-साथ चुनौतियों से भरा हुआ है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक अनार की खेती करने वाले किसानों को 40 रुपए में पौधा मिल जाता है, लेकिन उसके बाद उसकी असली मेहनत शुरू होती है। किसान को 3 साल तर पौधे की देखभाल करनी होती है। 3 साल तक फसल के लिए इंतजार में बूंद-बूंद सिंचाई से उसको देखना पड़ता है, तब जाकर उसकी उम्मीदों की फसल होती है। एक पौधा कम से कम 25 सालों तक फल देता है।

विशेषज्ञों की मानें तो तीन साल बाद अनार की पहली फसल से मिलने वाला मुनाफा और फसलों से कई गुना ज्यादा होती है। एक अनुमान के मुताबिक अगर 25 बीघा में मूंगफली की फसल से होने वाली आय 5 लाख रुपए होती है तो उतनी ही जमीन पर अनार की खेती से 20 लाख रुपए तक कमाई की जा सकती है। बीकानेर के अनार पंजाब से लेकर देश भर में एक्सपोर्ट किए जाने लगे हैं।

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