हरियाणा में बाजरे की खेती बहुत ज्यादा होती है. यहां के किसान अन्य फसलों के मुकाबले बाजरे की अधिक खेती करते हैं. यही वजह है कि वर्तमान समय में हरियाणा की लगभग सभी अनाज मंडियों में अधिक मात्रा में बाजरे की खरीद हो रही है. वहीं बाजरे की अधिक आवक होने और मंडियों से जल्दी उठान न होने की वजह से प्रदेश के धान किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. धान के किसान इंतजार कर रहे हैं कि मंडी खाली होने के बाद वे अपने धान की उपज को बेच सकें।
हरियाणा में सरकारी एजेंसी हैफेड द्वारा खरीदा गया कुल 12,167 क्विंटल से अधिक बाजरा अभी भी जिले की अलग-अलग अनाज मंडियों के खरीद केंद्रों में पड़ा हुआ है। जिस बाजरे का उठाव अब तक नहीं हुआ है, वह कुल खरीदे गए बाजरे का 42 प्रतिशत से अधिक है।
इससे धान किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि मंडियों में अधिकांश जगह खरीदे गए बाजरे ने कब्जा कर लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी धान बिक्री का भी सीजन है। लेकिन जब मंडियों में बाजरे से जगह बचेगी तभी किसान धान की बिक्री कर सकेंगे। ऐसे में किसान इंतजार में हैं कि बाजरे का उठाव हो, तो वे अपने धान की तुलाई करें।
हरियाणा के झज्जर जिले में जानकारी के अनुसार, हैफेड द्वारा जिले में अब तक कुल 28,878 मीट्रिक टन बाजरा 2200 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीदा गया है जबकि मंडियों से केवल 16,711 मीट्रिक टन ही उठाया जा सका है. खरीद तो हो गई,
लेकिन अभी तक उसका उठाव नहीं हुआ है जिससे मंडियों में चारों ओर बाजरा ही बाजरा दिख रहा है। इससे किसानों के साथ-साथ आढ़ती भी परेशान हैं।
राजस्थान से सटे दक्षिण हरियाणा के अधिकांश जिलों की मंडियों में इन दिनों बाजरे की खरीद हो रही है। केंद्र के फैसले के तहत ढाई लाख मीट्रिक टन बाजरे की खरीद हैफेड द्वारा की जा रही है। बाकी का दूसरी एजेंसियों व प्राइवेट लोगों द्वारा खरीदा जा रहा है। राजस्थान में बाजरे के रेट कम होने की वजह से वहां से हरियाणा में तस्करी हो रही है। बाजरा तस्करी के कई मामले पकड़ में आ चुके हैं। इसके बाद सरकार ने राजस्थान से सटे सभी जिलों के डीसी और एसपी को बाॅर्डर एरिया में सख्ती बरतने के आदेश दिए हैं। दरअसल, राजस्थान में 1900 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजरा आसानी से मिल रहा है। बाजरे का एमएसपी 2500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। हरियाणा सरकार की एजेंसी – हैफेड द्वारा 2200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा जा रहा है। बाकी का 300 रुपये सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को दे रही है।