लगातार बारिश, बादल फटने, पहाड़ टूटकर गिरने और बेमौसम बर्फबारी से हिमाचल प्रदेश का जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सेब की फ़सल को नुक़सान हुआ है। इसके बावजूद सेब कारोबारियों और बागवान को उम्मीद के मुताबिक दाम मिलने की उम्मीद है। सेब कम होने से फल मंडियों में मांग बनी हुई है।
हिमाचल प्रदेश का ज्यादातर कारोबार सैब की फ़सल पर निर्भर करता है। इस बार अहम बात यह है कि सेब के दामों में गिरावट नहीं आई है। इस बार क्वालिटी हालांकि उतनी ज्यादा अच्छी भी नहीं है, मगर दाम में गिरावट नहीं आई है, क्योंकि सेब इस बार कम है। सेब के दाम की बात करें तो दो हजार से ऊपर ही यह दाम है। यहां तक की अच्छी क्वालिटी के सेब को दस किलोग्राम को ही दो से अढ़ाई हजार मिल रहे हैं।
प्राप्त जानकारी अनुसार तक मंडियों में एक करोड़ 13 लाख सेब पेटियां पहुंच गई हैं और इसमें भी 84 हजार पेटियां प्रदेश से बाहर गई हैं। प्रदेश से बाहर की मंडियों में हिमाचली सेब को अच्छा दाम मिल रहा है और इसकी आमद से वहां के आढ़ती भी खुश हैं। बागबान लगातार बाहरी मंडियों में भी जा रहे हैं, मगर हिमाचल की मंडियों में भी इसी तरह की स्थिति है, जहां पर भी सेब का अच्छा दाम मिल रहा है। इस बार क्वालिटी हालांकि उतनी ज्यादा अच्छी भी नहीं है, मगर दाम में गिरावट नहीं आई है, क्योंकि सेब इस बार कम है।
जानकारों के अनुसार हिमाचल प्रदेश की मंडियों में दस किलोग्राम की सेब पेटियां इस वक्त 87320 पहुंच चुकी हैं, जबकि 20 किलोग्राम की 69,31,588 पेटियां मंडियों में आ चुकी हैं। इसी तरह से बाहर की मंडियों में 10 किलोग्राम की 42 लाख 60 हजार 954 पेटियां जा चुकी हैं, जबकि 20 किलोग्राम भार की 30,547 पेटियां जा चुकी हैं। इस तहर से लगातार सेब की आमद मंडियों में पहुंच रही है। बागबान लगातार बाहरी मंडियों में भी जा रहे हैं, मगर हिमाचल की मंडियों में भी इसी तरह की स्थिति है, जहां पर भी सेब का अच्छा दाम मिल रहा है।
हिमाचल प्रदेश में सेब कारोबारियों ने सेब के यूनिवर्सल कार्टन की मांग को लेकर आंदोलन किया। हड़ताल की और सरकार के दरवाजे पर दस्तक दी। इस साल सेब कारोबारियों को यूनिवर्सल कार्टन की सुविधा मुहैया कराई गई है।पारम्परिक कार्टन के उपयोग से फसलों को नुकसान की शंका व कीमतें गिरने की समस्या से भी निजात मिलेगी। यूनिवर्सल कार्टन से बागवानों को मानकीकृत, टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता वाली पैकिंग सुविधा प्राप्त हुई है, जिससे फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई व बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। इससे सेब को होने वाली क्षति से बचाया जा सकता है व गुणवत्ता बनी रहती है।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने मंडी में किसानों को प्रोत्साहित करने की सुविधाएं दी हैं। जहां बागवानों को सेब की कीमत तय करने का अधिकार मिला है, वहीं बिचौलियों और व्यापारियों की निर्भरता से बागवान का बचाव होगा। यूनिवर्सल कार्टन माध्यम से बागवान सीधे उत्पाद की पैकिंग बेहतर रूप से कर अधिक मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए विशेष मानक भी निर्धारित किए गए हैं, जिसमें आकार, तहों की संख्या, वजन अथवा क्षमता आदि मानकों का पालन कर उच्च गुणवत्ता वाले कार्टनाें के माध्यम से फलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।