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ज्वार की उन्नत किस्मों की बुवाई से होगी 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार

ज्वार तीन से 4 महीने की कम अवधि वाली फसल है। कम समय में इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि किसान अच्छा उत्पादन देने वाले बीज का चयन करें, अच्छे उत्पादन के लिए बीज का उन्नत होना जरूरी है।

करीब 95 से 105 दिन में जल्दी पककर तैयार होने वाली सीएसवी 15 ज्वार चारा किस्मके जरिए किसान अनाज और चारे की अच्छी पैदावार कर पा सकते हैं। इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 230 से 240 सेंटीमीटर तक होती है। दाने की पैदावार भी 35 से 40 क्विंटल तक हो पाती है। वहीं ज्वार के चारे की पैदावार 105 से 110 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो पाती है। ये किस्म वर्ष 1994 में विकसित की गई थी।

सौ से 115 दिन में तैयार होने वाली इस बहुउद्देशीय किस्म को उन किसानों द्वारा पसंद किया जाता रहा है। यह चारे के साथ साथ प्रोटीन युक्त, पाचनशील और ज्यादा पोषक तत्वों से भरपूर अनाज चाहते हैं। इस किस्म में अनाज की मात्रा थोड़ी कम जरूर होती है। लेकिन इसमें प्रोटीन 7.15 प्रतिशत है। यानी अगर 100 ग्राम ज्वार खाते हैं तो शरीर को 7.15 ग्राम तक प्रोटीन प्राप्त हो जाएगा। वहीं इसमें पाचनशील शुष्क पदार्थों की मात्रा 45.7 प्रतिशत होता है। पौधे की ऊंचाई 215 से 225 सेंटीमीटर के बीच है, जिससे चारा की पैदावार भी ठीक ठाक हो जाती है। अनाज और चारे की पैदावार की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल अनाज और 160 से 170 क्विंटल चारे की पैदावार होती है। ध्यान रहे कि हरे चारे के किस्म की कटाई 45 दिन से पहले नहीं करना चाहिए, अन्यथा ये पशुओं के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं होता है।

सामान्य वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए प्रताप ज्वार किस्म को विकसित किया गया। इस किस्म को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य था कि ये किस्म तना छेदक व शीर्ष मक्खी के प्रति सहनशील हो। बहुत सारे क्षेत्रों में तना छेदक और शीर्ष मक्खी की वजह से किसान ज्वार का अच्छा उत्पादन नहीं कर पाते हैं। किसान प्रताप ज्वार 1430 की मदद से 30 से 35 क्विंटल तक दाने की पैदावार ले सकते हैं। इस किस्म से न सिर्फ पर्याप्त मात्रा में दाना बल्कि 110 से 115 क्विंटल सूखा चारे की पैदावार भी कर सकते हैं। इस तरह किसानों को अनाज के साथ साथ पशुओं के लिए चारे की भी व्यवस्था हो जाती है। बता दें कि इस किस्म को वर्ष 2004 में विकसित किया गया।

हरे चारे की सबसे उन्नत किस्मों में से एक एमपी चरी भी है, ये दूसरा सबसे उन्नत ज्वार किस्म है जो हरे चारे की पैदावार के लिए उपयुक्त है। इस किस्म के ज्वार की पहली कटाई 55 से 60 दिन बाद ले सकते हैं। इसके बाद दूसरी कटाई के लिए 35 से 40 दिन का इंतजार कर सकते हैं। इससे चारे की औसतन पैदावार 350 से 400 क्विंटल तक हो सकती है।

एस.एस.जी 59-3 किस्म किसानों के लिए हरे चारे की जरूरत को पूरी करने के लिए लाया गया है। इस किस्म से हरे चारे की पर्याप्त पैदावार हो जाती है। जो किसान पशुपालन करते हैं और हरे चारे के लिए इस किस्म को लगाना चाहते हैं, वे इसे लगा सकते हैं। मात्र 55 से 60 दिन बाद इसकी कटाई शुरू की जा सकती है और 2 से 3 बार कटाई की जा सकती है। इस किस्म से किसानों को औसतन चारे की पैदावार 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वर्ष 1978 में इस चारे की किस्म को विकसित किया गया था। हरे चारे की ये सबसे उन्नत किस्म है।

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