झुलसा देने वाली गर्मी से लोगों को राहत मिली है | मौसम बदलने से लोग खुश हैं लेकिन सूबे के आम उत्पादों के चेहरों पर चिन्ता की लकीरें हैं| उनकी उम्मीद की फसल तहस-नहस हो गई है|
अचानक बदले मौसम का मिजाज बागवानों को रास नहीं आया है| विशेषकर आम की फसल को खास नुकसान हुआ। कानपुर, लखनऊ, प्रतापगढ़, पीलीभीत, फर्रुखाबाद, मुरादाबाद, औरैया, अमरोहा, उन्नाव और बस्ती समेत प्रदेश के कई जिलों में आज सुबह से ही मौसम करवट लेता दिखाई पड़ा। कई जिलों में तेज हवाएं चलने और धूलभरी आंधी से सैकड़ों पेड़ गिर गए जबकि बिजली के पोल गिरने से सैकड़ों इलाके अंधेरे में डूब गए।
इस दौरान आम के बागों में कच्चे आम के ढेर लग गए| आम उत्पादक कृष्ण मोहन गोयल का कहना है – ‘आंधी से बागवानों की हसरतें ज़मीन पर आ गिरी हैं’ | जिन लोगों ने उधारी में पैसा लेकर बाग की फसल खरीदी थी, वह सदमें में हैं |
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं पक रही फसलों पर बारिश का पानी पड़ने से उनमें नुकसान का अनुमान है। सब्जी व फलों की फसलें कीड़ा लगने से सड़ने लगती हैं। इससे पैदावार भी घट जाती है। इससे किसानों की चिता बढ़ गई है।
आम उत्पादकों का कहना है-पिछले दो साल से कोरोना काल के कारण भारी नुकसान चल रहा था। रही-सही कसर अचानक आई आंधी ने पूरी कर दी। कहा कि बागों में भारी नुकसान से बाग स्वामी काफी परेशान है।
प्राकृतिक आपदा व मौसम की लगातार मार के चलते आम की फसल से किसानों का मोह भंग होता जा रहा है। कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब किसानों को स्वयं अपने बागों को काटने को मजबूर होना पड़ेगा।
नईम अहमद कहना है कि उनके क्षेत्र की पहचान आम के बागों से होती है, लेकिन काफी समय से आम की मिठास में भारी कमी के चलते बाग मालिक दुखी हैं। इस बार उम्मीद थी कि आम की अच्छी फसल से किसान को राहत मिलेगी, लेकिन पहले मौसम की मार फिर, अचानक आए आंधी-तूफान ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया।