tag manger - खीरे की खेती में रोग नियंत्रण,उर्वरक एवं सिंचाई – KhalihanNews
Breaking News

खीरे की खेती में रोग नियंत्रण,उर्वरक एवं सिंचाई

फरवरी और मार्च महीने में खीरे की खेती से अच्छी फसल व मुनाफा मिलता है। खीरे की लताओं में रोगों की रोकथाम करके किसान अपनी आमदनी बढा सकते हैं। खीरे की उपज अब सालभर की जा सकती है।

खीरे में लगने वाले रोगों में हैं–चूर्णिल असिता : यह रोग ऐरीसाइफी सिकोरेसिएरम नाम से एक फफूंदी के कारण होता है। यह रोग मुख्यत: पत्तियों पर होता है और यह धीरे-धीरे तना, फूल और फलों पर हमला करने लगता है। नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 मिमी प्रति पंप फसलों पर छिडक़ाव करने से इस रोग को दूर किया जा सकता है।

विषाणु रोग : खीरे में विषाणु रोग एक आम रोग होता है। यह रोग पौधों के पत्तियों से शुरू होती है और इसका प्रभाव फलों पर पड़ता है। इस रोग में पत्तियों पर पीले धब्बों का निशान पड़ जाता है और धीरे-धीरे पत्तियां सिकुडऩे लगती है। इस बीमारी का असर फलों पर भी पड़ता है। फल छोटी और टेड़ी-मेड़ी हो जाती है। रोग को नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 एमएल प्रति पंप फसलों पर छिडक़ाव करने से दूर किया जा सकता है।

एन्थ्रेक्नोज : यह रोग मौसम में परिवर्तन के कारण होता है। इस रोग में फलों तथा पत्तियों पर धब्बे हो जाते हैं। इस रोग को नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 एमएल प्रति पंप फसलों पर छिड़काव करने से दूर किया जा सकता है।

खीरे की खेती में कीट नियंत्रण

एफिड : ये बहुत छोटे-छोटे कीट होते हैं। ये कीट पौधे के छोटे हिस्सों पर हमला करते हैं तथा उनसे रस चूसते हैं। इन कीटों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है और ये वायरस फैलाने का काम करती है। इन कीटों की वजह से पत्तियां पीली पडऩे लगती है। इस कीट से बचने के लिए नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 एमएल प्रति पंप फसलों पर छिडक़ाव करें।

रेड पम्पकिन बीटिल : ये लाल रंग तथा 5-8 सेमी लंबे आकार के कीट होते हैं। ये कीट पत्तियों के बीच वाले भाग को खा जाते हैं जिसके कारण पौधों का अच्छे से विकास नहीं होता है। इस कीट से बचने के लिए नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रोझाइम को मिलकर इसे २५० एमएम प्रति पंप फसलों पर छिडक़ाव करें।

एपिलैकना बीटिल : ये कीट इन सभी वाइन प्लांट पर हमला करते हैं। ये कीट पौधों के पत्तियों पर आक्रमण करती है। ये बीटिल पत्तियों को खाकर उन्हें नष्ट कर देती है।

About

Check Also

एथेनॉल के ल‍िए मक्का की खेती बढ़ाने में जुटा भारत

एथेनॉल के ल‍िए मक्का की खेती बढ़ाने में जुटा भारत

देश के विभिन्न हिस्सों में पानी के संकट और लगातार बदलती आबोहवा के मद्देनजर सरकारों …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *