पहले संदेश भेजने के लिए कबूतरों कीई मदद ली जा जाती थी। कबूतरों में कहीं से भी, अपने घर का रास्ता खोजने की अद्भुत क्षमता होती है। संदेश वाहक कबूतरों के माध्यम से संदेश भेजने की परंपरा भारतीय साहित्य में है।
गुजरात में कच्छ और राजस्थान के दुर्गम थार वाले जैसलमेर,बाढ़मेर, जालोर के बाद अब बिहार और झारखंड में डाक विभाग जरूरी डाक को दुर्गम इलाकों में पहुंचाने के लिए ड्रोन का। सहारा लेगा। विभाग ने इसके जवाब लिए सूबे में दुर्गम इलाकों में को चुना है।
राजस्थान में डाक विभाग ने संचार विभाग के साथ मिलकर ड्रोन डिलिवरी शुरू की है। ड्रोन का निर्माण स्टार्ट अप कार्यक्रम के अंतर्गत टेक-ईगल ने बनाया है। गुजरात के भुज में इस ड्रोन ने 46 किलोमीटर दूर डाक की डिलिवरी 25 मिनट में की थी।
बिहार में ड्रोन से आवश्यक दवाएं, अस्पतालों को रक्त और अन्य जीवन उपयोगी सामग्री की परख पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर की गई है। ड्रोन को पांच गुना पांच फिट जगह चाहिए, जहां इसे उतारकर तीन किग्रा का वजन का। पैकेट देना संभव है।
डाक विभाग का कहना है कि ड्रोन की मदद से आने वाले समय में बिहार के दुर्गम इलाकों में छोटे पार्सल व एक्सप्रेस डाक विश्वसनीय तरीके से पहुंचाना संभव होगा।