सेब के कारोबारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच संपन्न एक बैठक में सेब की पैकिंग की पेंटी के साइज़ पर अंतिम निर्णय हुआ। तय पाया गया कि हिमाचल प्रदेश में फल कारोबारी आइंदा बीस किलो लायक नहीं कंटेनर इस्तेमाल करेंगे। सूबे के सेब कारोबारियों ने इस मुद्दे को लेकर पिछली भाजपा सरकार के समय हड़ताल भी की और धरना प्रदर्शन करते हुए प्रदर्शन भी किया।
कृषि सचिव सी पालरासु की बैठक की अध्यक्षता में हुई बैठक में बागवान और आढ़ती संगठनों ने जल्द अधिसूचना जारी कर टेलिस्कोपिक कार्टन पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई, ताकि कार्टन को लेकर कोई भ्रम न रहे। कृषि सचिव ने आश्वासन दिया कि जल्द अधिसूचना जारी कर आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे। कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक हेमिस नेगी ने बताया कि सरकार की ओर से गठित कमेटी ने कार्टन उत्पादकों के साथ भी बैठक की।
मिली जानकारी अनुसार आईआईपी की ओर से 2013 में किए अध्ययन और 2015 में जारी अधिसूचना का भी अवलोकन किया है। सेब के बाद स्टोन फ्रूट और सब्जियों के लिए भी स्टैंडर्ड पैकेजिंग सिस्टम बनाएंगे। पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि बागवानी सुधार के लिए सरकार के प्रयास स्वागत योग्य है। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि इससे बागवानों को लाभ होगा।
आईआईपी की ओर से 2013 में किए अध्ययन और 2015 में जारी अधिसूचना का भी अवलोकन किया है। सेब के बाद स्टोन फ्रूट और सब्जियों के लिए भी स्टैंडर्ड पैकेजिंग सिस्टम बनाएंगे। पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि बागवानी सुधार के लिए सरकार के प्रयास स्वागत योग्य है। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि इससे बागवानों को लाभ होगा।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन सूबे में आर्थिक स्थिति को भी तय करता है और अर्थ व्यवस्था का आधार है। हर साल लाखों पेटी देशभर में सप्लाई करने वाले हिमाचल प्रदेश के मुख्य कारोबार के रूप में सेब उत्पादन से लाखों लोगों की रोजी-रोटी चलती है।